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Gupt Navratri 2025 Date: जानिए गुप्त नवरात्रि की अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि 2025 की अष्टमी कब मनाई जाएगी, इसके शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानें। इस बार गुप्त नवरात्रि का पर्व किस दिन होगा और अष्टमी के दिन पूजा का सही तरीका क्या है, जानिए इस पूरी खबर में।

गुप्त नवरात्रि 2025 का पर्व इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाएगा, और इस बार की अष्टमी तिथि का खास महत्व है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी 2025 को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगी और इसकी समाप्ति 6 फरवरी 2025 को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगी। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है और इसे गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन मनाया जाता है।

अष्टमी पूजा का महत्व:

गुप्त नवरात्रि के दौरान अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, खासकर इस दिन के निशा काल (रात्रि के समय) में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 5 फरवरी को माघ गुप्त नवरात्र की अष्टमी रहेगी, और इस दिन पूजा विधि में ध्यान, हवन, और देवी दुर्गा के आठ रूपों की पूजा की जाती है।

अष्टमी पूजा विधि:

अष्टमी पूजा के दौरान निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जाती हैं:

  1. स्नान और व्रत:
    पूजा की शुरुआत में पवित्र स्नान करें और फिर उपवासी रहने का संकल्प लें। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा के साथ व्रत रखना विशेष फलदायी होता है।

  2. माँ दुर्गा की पूजा:
    माँ दुर्गा के आठ रूपों की पूजा का महत्व है, जिनमें कात्यायनी, काली, महालक्ष्मी, आदि प्रमुख रूप हैं। इन रूपों की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

  3. हवन और यज्ञ:
    पूजा के दौरान हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसमें देवी को घी और अन्य विशेष सामग्री अर्पित की जाती है।

  4. नवग्रह पूजन:
    इस दिन नवग्रहों की पूजा भी की जाती है, ताकि ग्रहों से जुड़े सभी अशुभ प्रभाव समाप्त हो सकें।

  5. अक्षत और प्रसाद:
    पूजा में अक्षत चढ़ाना और प्रसाद वितरण करना अनिवार्य होता है, जिससे आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष ध्यान रखने योग्य बातें:

  1. उपवास और श्रद्धा:
    इस दिन उपवास रखकर श्रद्धा और विश्वास से पूजा करें, इससे मानसिक शांति और सुख मिलता है।

  2. स्वच्छता:
    पूजा स्थल को स्वच्छ रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। साफ-सफाई के साथ पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा बरसती है।

  3. कीर्तन और भजन:
    पूजा के दौरान भजन और कीर्तन का आयोजन करें, जिससे वातावरण में भक्ति का माहौल बने।