सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने
वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिका में पांच मई को हुई परीक्षा रद्द करने,
एनटीए को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने और अनियमितताओं के संबंध में
कोर्ट की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की गई। कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील
ने कोर्ट से दोबारा परीक्षा कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि कसूरवार और
बेकसूरों की पहचान करना संभव नहीं है। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश डी वाई
चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने
एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने की मांग वाली गुजरात के 50 से अधिक सफल
परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11
जुलाई की तारीख तय की। शीर्ष कोर्ट ने कहा, ‘एक बात तो साफ है कि प्रश्न-पत्र
लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक
स्वीकार्य तथ्य है। लीक की प्रकृति कुछ ऐसी है, जिसका हम पता लगा रहे हैं। आप
केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि दो छात्र धांधली में
शामिल थे। इसलिए हमें लीक कीप्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए। दोबारा
परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के बारे में जानना होगा। ऐसा
इसलिए, क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के मामले को सुन रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने
पूछा कि केंद्र और एनटीए ने इस गड़बड़ी से किन-किन छात्रों को फायदा पहुंचा?
यह जानने के लिए क्या कार्रवाई की?’ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि लीक
होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए। कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र
कहां हैं? भौगोलिक तौर पर ये छात्र कहां कहां हैं? क्या हम अभी भी गलत काम
करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान कर भी पाएं
हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा को दोबारा से कराना सबसे आखिरी
विकल्प होना चाहिए। मामले में जो कुछ भी हुआ, उसकी जांच देश भर के विशेषज्ञों
की एक बहु-अनुशासनात्मक समिति से कराई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
हम पढ़ाई-लिखाई की सबसे प्रतिष्ठित शाखा से निपट रहे हैं। हर मध्यम वर्ग का
व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई
करें।
यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं। हम ऐसे लोगों
की पहचान कैसे करेंगे, जिन्हें इस धांधली का फायदा हुआ है। क्या हम काउंसलिंग
होने देंगे और अब तक क्या हुआ है? सुप्रीम कोर्ट ने साइबर फोरेंसिक यूनिट को
शामिल करने, एआई का उपयोग करके गलत काम करने वालों की संख्या का पता लगाने और
उनके लिए फिर से परीक्षा की संभावना तलाशने के बारे में पूछा। कोर्ट ने
सीबीआई को जांच की स्थिति बताते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट
ने एनटीए को निर्देश दिया कि वह बताए कि प्रश्नपत्र पहली बार कब लीक हुआ। वह
प्रश्नपत्र लीक होने की घटना और 5 मई को परीक्षा आयोजित होने के बीच की समय
अवधि के बारे में भी बताए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 जुलाई
की तारीख तय की। देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस,
आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीटयूजी
आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों
में विरोध प्रदर्शन हुए। इस पर जमकर राजनीति भी हुई। केंद्र और एनटीए ने 13
जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक
(ग्रेस मार्क) रद्द कर दिए हैं। उन्हें दोबारा परीक्षा या प्रतिपूरक अंकों को
छोड़ने का विकल्प दिया गया था। एनटीए ने 23 जून को आयोजित पुन: परीक्षा के
परिणाम जारी करने के बाद एक जुलाई को संशोधित रैंक सूची जारी की