नई दिल्ली (एजेंसी)। दक्षिणी राज्यों की ओर से कर धन के ‘अनुचित’ हस्तांतरण पर चिंता जताए जाने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि राज्यों को 16वें वित्त आयोग के समक्ष अपनी चिंताओं को रखना चाहिए। वित्त आयोग की सिफारिशें यह तय करेंगी कि धन का बंटवारा कैसे किया जाए।
वित्त आयोग के पास कर राजस्व के बंटवारे के लिए जनसंख्या एक मानदंड है। दक्षिणी राज्य, जो जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कामयाब रहे हैं, उन्हें लगता है कि उत्तरी राज्यों की तुलना में उन्हें कम लाभ मिलता है, जहां जनसंख्या वृद्धि बहुत अधिक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि केंद्र सरकार हस्तांतरण के फॉर्मूले पर फैसला नहीं करती है। करों का हस्तांतरण वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार किया जाता है और असंतुष्ट दक्षिणी राज्यों को मापदंडों में बदलाव के लिए आयोग से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह राज्यों का काम है कि वे वित्त आयोग के साथ मिलकर उन मानदंडों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त करें जिनके आधार पर उनकी ओर से कर हस्तांतरण के सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं।”
उन्होंने कहा, “और यदि वे एक दशक से अधिक समय के बारे में सोचें, तो पाएंगे कि वहां एक अलग ही चीज घटित हो रही है। इन मुद्दों को वित्त आयोग के समक्ष उठाना राज्यों का काम है।” उन्होंने कहा कि आखिरकार, केंद्र सरकार वित्त आयोग की सिफारिशों को, विशेषकर मुख्य सुझावों को, लेती है और उनका पालन करती है। उन्होंने कहा कि उनके (राज्यों के) की ओर से अपनी चिंताएं व्यक्त करना उचित नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार करों के हस्तांतरण पर निर्णय नहीं लेती है।
आयोग आम तौर पर पांच साल के लिए कर राजस्व के विभाजन के लिए करता है सिफारिशें वित्त आयोग आम तौर पर पांच साल के लिए कर राजस्व के विभाजन के लिए सिफारिशें देता है। 13वें वित्त आयोग ने 2010-11 से 2014-15 के लिए सिफारिशें दीं और उसके बाद के वित्त आयोग ने 2015-16 से 2019-20 के लिए फॉर्मूला सुझाया।