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Stock Market Crash: ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद शेयर बाजार क्रैश, सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट

डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती घंटों में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं।

नई दिल्ली, 21 जनवरी 2025 – अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने  के तुरंत बाद, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखने को मिली है। भारतीय शेयर बाजार भी इस घटनाक्रम से अछूता नहीं रहा। आज सुबह के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी ने बड़ी गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।

बाजार की शुरुआती स्थिति:

आज के शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 800 अंकों की गिरावट के साथ खुला और निफ्टी ने 250 अंकों की गिरावट दर्ज की। सेंसेक्स 58,500 के स्तर पर कारोबार कर रहा है, जबकि निफ्टी 17,500 के नीचे फिसल गया है।

क्या है गिरावट की वजह?

विशेषज्ञों का कहना है कि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की घोषणा के बाद अमेरिकी नीतियों में संभावित बदलाव के डर से निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है। इससे वैश्विक स्तर पर बाजारों में अनिश्चितता फैली है।

  1. व्यापारिक संरक्षणवाद का डर: ट्रंप की नीतियां वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं।

  2. डॉलर की मजबूती: डॉलर के मजबूत होने से उभरते बाजारों में निवेश घटने की संभावना है।

  3. फेडरल रिजर्व की नीतियां: ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका भी निवेशकों को चिंतित कर रही है।

किन सेक्टरों पर पड़ा असर?

  1. बैंकिंग सेक्टर: शुरुआती घंटों में ही आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के शेयर 2-3% तक गिरे।

  2. आईटी सेक्टर: इंफोसिस और टीसीएस जैसे दिग्गजों के शेयरों में 1.5% की गिरावट देखी गई।

  3. ऑटो सेक्टर: मारुति और टाटा मोटर्स के शेयर भी दबाव में हैं।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय घबराने की जरूरत नहीं है। अल्पकालिक निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, जबकि दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह समय अच्छे गुणवत्ता वाले शेयरों को खरीदने का अवसर हो सकता है।

आगे का अनुमान:

आने वाले घंटों में बाजार पर वैश्विक संकेतों का असर जारी रह सकता है। निवेशकों को अमेरिकी नीतियों और भारतीय रिजर्व बैंक के कदमों पर नजर रखनी चाहिए।

डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की घोषणा ने निवेशकों में अस्थिरता पैदा कर दी है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति अस्थायी हो सकती है। बाजार में सतर्कता और समझदारी से लिए गए फैसले निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।