नई दिल्ली, 20 जनवरी 2025: शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा हिंदू धर्म में प्राचीन काल से चली आ रही है। यह परंपरा भगवान शिव के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम को दर्शाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई? इसका गहरा संबंध समुद्र मंथन से बताया जाता है।
समुद्र मंथन से जुड़ी है परंपरा:
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसमें देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र को मथा। मंथन से कई दिव्य वस्तुएं और अमृत निकला, लेकिन इसके साथ ही हलाहल विष भी निकला, जो पूरी सृष्टि को नष्ट कर सकता था।
उस समय, भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए वह विष पी लिया। विष को अपने कंठ में रोकने के कारण उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर उनकी तपन को कम किया। यह परंपरा यहीं से शुरू हुई और आज भी भगवान शिव को दूध अर्पित किया जाता है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का महत्व:
- आध्यात्मिक शुद्धिकरण:
ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से न केवल आत्मा शुद्ध होती है, बल्कि यह मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक:
हिंदू धर्म में दूध को पवित्र और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर इसे चढ़ाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- विष के प्रभाव को शांत करना:
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का एक कारण भगवान शिव के द्वारा ग्रहण किए गए विष को शांत करना भी है।
धार्मिक और वैज्ञानिक पहलू:
धार्मिक मान्यता:
शिवलिंग पर दूध, जल, और बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। यह भक्तों के दुखों को दूर कर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
शिवलिंग पर ठंडी चीजें जैसे दूध और पानी चढ़ाने से वह ठंडा रहता है। शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध डालने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो मानसिक शांति प्रदान करता है।
शिवलिंग पूजा की परंपरा और आधुनिक युग:
आज के समय में भी लाखों भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं। सावन के महीने और महाशिवरात्रि के दौरान यह परंपरा विशेष रूप से देखी जाती है। देशभर के प्रमुख शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
प्रमुख शिवालय जहां होती है यह परंपरा:
- काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी):
यहां शिवलिंग पर दूध चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन):
यह मंदिर शिव भक्तों का प्रमुख केंद्र है।
- सोमनाथ मंदिर (गुजरात):
यहां भी दूध चढ़ाने की प्राचीन परंपरा है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह भक्तों की आस्था का प्रतीक भी है। यह परंपरा भगवान शिव के प्रति उनके समर्पण और आदर को दर्शाती है।