IIT मद्रास के डायरेक्टर का चौंकाने वाला दावा: तेज बुखार पर पिया Gomutra, तुरंत हुआ ठीक; सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

IIT मद्रास के डायरेक्टर का तेज बुखार में गोमूत्र पीने और ठीक होने का दावा वायरल हो गया है। इस बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ इसे पारंपरिक चिकित्सा का प्रमाण मान रहे हैं, तो कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग कर रहे हैं।

IIT मद्रास के डायरेक्टर का हालिया बयान चर्चा का केंद्र बन गया है। उन्होंने दावा किया है कि तेज बुखार के दौरान उन्होंने गोमूत्र पिया था, जिससे उनकी तबीयत तुरंत ठीक हो गई। यह बयान उनके एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिए गए भाषण के दौरान सामने आया। उनका कहना है कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में कई चमत्कारिक उपचार छिपे हैं, जिन्हें विज्ञान के नजरिए से भी समझने की जरूरत है।

डायरेक्टर के बयान पर क्यों छिड़ी बहस?
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया और विशेषज्ञों के बीच बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोग इसे भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद का समर्थन मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नहीं मानते।

क्या कहा डायरेक्टर ने?
डायरेक्टर ने कहा,
"मुझे तेज बुखार था और दवाओं से आराम नहीं मिल रहा था। मैंने पारंपरिक चिकित्सा में विश्वास रखते हुए गोमूत्र का सेवन किया। कुछ ही घंटों में मैं बेहतर महसूस करने लगा।"
उन्होंने आगे कहा कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां, जैसे आयुर्वेद और गोमूत्र चिकित्सा, के पीछे वैज्ञानिक आधार को समझने के लिए और रिसर्च की जरूरत है।

आयुर्वेद और गोमूत्र पर विशेषज्ञों की राय
गोमूत्र का उपयोग आयुर्वेद में कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है। आयुर्वेदाचार्य मानते हैं कि गोमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कई संक्रमणों को दूर कर सकते हैं। हालांकि, मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि इसे मुख्यधारा की चिकित्सा का विकल्प मानने से पहले पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण जुटाने की जरूरत है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
डायरेक्टर के इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। कुछ लोगों ने इसे भारतीय परंपराओं की बड़ी उपलब्धि बताया, जबकि अन्य ने इसे अंधविश्वास करार दिया।

  • एक यूजर ने लिखा,
    "यह भारतीय ज्ञान का प्रमाण है। हमें अपनी परंपराओं पर गर्व होना चाहिए।"
  • वहीं, दूसरे यूजर ने टिप्पणी की,
    "इस तरह के दावों को बिना वैज्ञानिक प्रमाण के प्रचारित करना खतरनाक हो सकता है।"

क्या कहता है विज्ञान?
विज्ञान के अनुसार, गोमूत्र में कुछ एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए गए हैं, लेकिन इसे चिकित्सा के लिए उपयोगी मानने के लिए और रिसर्च की जरूरत है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी पारंपरिक उपचार को अपनाने से बचना चाहिए।

डायरेक्टर के बयान का असर
इस बयान से IIT मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का नाम चर्चा में आ गया है। कई लोग इसे आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास मानते हैं, जबकि कुछ इसे विवाद पैदा करने वाला बयान बता रहे हैं।