सनातन धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। यह पवित्र तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत और पूजा करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि का वास भी होता है।
पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व
पौष पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए फलदायी माना जाता है, जो संतान सुख की कामना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
क्यों पढ़ें यह चालीसा?
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पौष पुत्रदा एकादशी पर लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह चालीसा न केवल जीवन की समस्याओं को दूर करती है, बल्कि घर में खुशहाली भी लाती है।
चालीसा का पाठ करने का सही समय और विधि
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं।
- पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें और फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद सच्चे मन से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
- पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
चालीसा पाठ के लाभ
- पुत्र प्राप्ति: जो दंपत्ति संतान सुख की कामना करते हैं, उनके लिए यह पाठ विशेष फलदायी है।
- धन वृद्धि: माता लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- शत्रु बाधा से मुक्ति: यह पाठ जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधा को दूर करता है।
- सुख-समृद्धि: परिवार में शांति और खुशहाली का वास होता है।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा और रानी संतान सुख से वंचित थे। उन्होंने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की उपासना की। उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया।
यह दिन क्यों है खास?
2025 में पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि 3 जनवरी को है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।