रामपुर तिराहा कांड में तीन दशक बाद फैसले की घड़ी आ गई। अदालत में पीएसी
के दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध हो गया। सजा के प्रश्न पर सोमवार को सुनवाई
करते हुए अदालत ने दोनों दोषी सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
दोनों पर अर्थदंड भी लगाया गया है। चर्चित रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक
दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में अदालत ने आखिरकार
फैसला सुना दिया।
पीएसी के दो सिपाहियों पर 15 मार्च को दोष सिद्ध हो चुका
था। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने
सुनवाई की और दोनों दोषी सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके
अलावा दोषियों पर 40 हजार रुपए अर्थदंड भी लगाया है। शासकीय अधिवक्ता
फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह,
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा और उत्तराखंड संघर्ष समिति के
अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम मिलापसिंह की पत्रावली में
सुनवाई पूरी हो चुकी है।
अभियुक्त मिलापसिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर दोष
सिद्ध हुआ था। सीबीआई की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए। दोनों अभियुक्तों पर
धारा 376जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ था। दोषी मिलाप
सिंह और वीरेंद्र प्रताप को धारा 376 (2) (जी) में आजीवन कारावास और 25
हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
धारा 392 में सात साल का कठोर कारावास
और 10 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 354 में दो साल का कारावास और 10 हजार
रुपये अर्थदंड और धारा 509 में एक साल का कारावास और पांच हजार रुपये
अर्थदंड लगाया गया। दोनों दोषियों पर कुल अर्थदंड एक लाख रुपये लगाया गया
है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशिबतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी।
सजा के
प्रश्न पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस कांड को जलियावाला बाग जैसी घटना के
तुलना की। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने कई मामलों में वीरता का परिचय
दिया प्रदेश का मान सम्मान बढ़ाया, लेकिन यह देश और न्यायालय की आत्मा को
झकझोर देने वाला प्रकरण है। चर्चित रामपुर तिराहा कांड में फैसला देते हुए
अपर जिला जल शक्ति सिंह ने लिखा कि महिला आंदोलनकारी के साथ बर्बरता व
अमानवीय व्यवहार किया गया है।