नई दिल्ली, 07 अप्रैल 2025: आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने न सिर्फ कानूनी हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया। देश के दो सबसे बड़े वकील, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी, ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई की मांग की। लेकिन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उनकी दलीलों को सुनने के बाद साफ शब्दों में जो कहा, वह अब सुर्खियों में छाया हुआ है। यह मामला इसलिए भी खास है, क्योंकि हाल ही में संसद से पास हुआ यह कानून पहले ही विवादों के घेरे में है और अब सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई को लेकर उत्सुकता चरम पर पहुंच गई है।
सुबह जैसे ही सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई, कपिल सिब्बल ने अपनी दमदार आवाज में कोर्ट से अपील की कि वक्फ कानून से जुड़े इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है और इससे देश भर में कई संपत्तियों पर विवाद खड़ा हो सकता है। सिब्बल ने तर्क दिया कि अगर इस पर तुरंत सुनवाई नहीं हुई, तो इसका असर न सिर्फ कानूनी व्यवस्था पर पड़ेगा, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी तनाव बढ़ सकता है। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा कि इस कानून के लागू होने से पहले ही कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं और इसे लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई है।
दोनों वकीलों ने एक के बाद एक तर्क रखे। सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और इसे लागू करने से पहले इसकी वैधता पर सवाल उठना जरूरी है। वहीं, सिंघवी ने इसे संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वक्फ कानून में बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही है और यह आम लोगों के हितों को नजरअंदाज करता है। दोनों की दलीलों में इतना दम था कि कोर्ट रूम में मौजूद लोग उनकी बातों को ध्यान से सुन रहे थे। लेकिन जैसे ही उनकी बात खत्म हुई, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसने सबको चौंका दिया।
चीफ जस्टिस ने साफ शब्दों में कहा, "इस कोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए एक व्यवस्था बनी हुई है। आपको यहां इसे उठाने की जरूरत नहीं थी। मैं दोपहर में इन अनुरोधों को देखूंगा और फिर तय करूंगा कि इसकी सुनवाई कब होगी।" उनके इस बयान से साफ हो गया कि वह किसी भी दबाव में जल्दबाजी नहीं करने वाले। चीफ जस्टिस का यह रुख न सिर्फ सिब्बल और सिंघवी के लिए एक झटका था, बल्कि यह भी संदेश दे गया कि सुप्रीम कोर्ट अपनी प्रक्रिया के तहत ही काम करेगा।
इस घटना के बाद कोर्ट के बाहर कानूनी विशेषज्ञों और पत्रकारों के बीच चर्चा शुरू हो गई। कुछ का मानना था कि चीफ जस्टिस का यह फैसला सही है, क्योंकि कोर्ट में पहले से ही कई बड़े मामले लंबित हैं और हर मामले को तुरंत सुनवाई के लिए नहीं लिया जा सकता। वहीं, कुछ लोगों ने इसे वक्फ कानून के खिलाफ चल रही लड़ाई में देरी के तौर पर देखा। एक वकील ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "सिब्बल और सिंघवी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन चीफ जस्टिस का जवाब बता रहा है कि वह इस मामले को जल्दी निपटाने के मूड में नहीं हैं।"
वक्फ कानून को लेकर यह विवाद कोई नया नहीं है। पिछले कुछ महीनों से यह मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। संसद में इस कानून को पास करने के दौरान भी विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी। विपक्ष का आरोप था कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है, जबकि सरकार का दावा था कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए जरूरी है। अब सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई को लेकर जो उत्साह था, वह चीफ जस्टिस के जवाब के बाद थोड़ा ठंडा पड़ गया है।
हालांकि, यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। कोर्ट में दर्जन भर याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिनमें अलग-अलग पक्षों ने वक्फ कानून के अलग-अलग पहलुओं पर सवाल उठाए हैं। कुछ याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून संविधान के सेक्युलर ढांचे के खिलाफ है, तो कुछ में इसके प्रावधानों को अस्पष्ट बताया गया है। ऐसे में यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला और गरमाएगा।
आज की सुनवाई के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ ने सिब्बल और सिंघवी की तारीफ की कि उन्होंने इस मुद्दे को इतने जोरदार तरीके से उठाया, तो कुछ ने चीफ जस्टिस के फैसले का समर्थन किया। एक यूजर ने लिखा, "सिब्बल और सिंघवी ने कोशिश तो पूरी की, लेकिन कोर्ट अपनी रफ्तार से ही चलेगा।" वहीं, एक अन्य ने कहा, "यह मामला इतना बड़ा है कि इसे जल्दबाजी में नहीं निपटाना चाहिए।"
अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि चीफ जस्टिस दोपहर में इन याचिकाओं को देखने के बाद क्या फैसला लेते हैं। क्या वक्फ कानून पर जल्द सुनवाई शुरू होगी या यह मामला भी कोर्ट की लंबी कतार में शामिल हो जाएगा? यह सवाल हर किसी के मन में है। लेकिन एक बात तय है कि यह मामला अभी लंबा चलेगा और इसके हर मोड़ पर नई-नई बातें सामने आएंगी।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से यह संदेश जरूर गया है कि वह अपनी प्रक्रिया और नियमों को सबसे ऊपर रखता है। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज वकीलों की दलीलें भले ही कोर्ट रूम में गूंजी हों, लेकिन चीफ जस्टिस का जवाब बता रहा है कि इस मामले में अभी धैर्य की जरूरत है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कानूनी जंग किस दिशा में बढ़ती है और इसका असर देश की कानूनी और सामाजिक व्यवस्था पर क्या पड़ता है।