कर्तव्यपथ

27 साल का सूखा खत्म करने के लिए भाजपा की रणनीतियां कर गईं कमाल

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद गणना से साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली में जीत का चौका लगाने से रोक दिया है।

नई दिल्ली (एजेंसी)दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद गणना से साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली में जीत का चौका लगाने से रोक दिया है। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि भाजपा 27 साल बाद राजधानी की सत्ता में वापसी कर रही है। 27 साल पहले भाजपा की सुषमा स्वराज 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। इतने लंबे समय सत्ता से दूर रहने के बाद आखिर वो क्या कारण रहे कि भाजपा दिल्ली फतह करने में कामयाब रही। बता दें कि इस बार की जीत इसलिए और खास है क्योंकि भाजपा ऐसा प्रदर्शन मोदी लहर में भी नहीं कर पाई थी। लेकिन इस बार वो पांच कारण कौन से रहे जिसने भाजपा के इस इंतजार को खत्म किया और जनता के विश्वास को पाने में कामयाब रही।

आम आदमी पार्टी जो खुद को कट्टर ईमानदार कहती थी, उस पर लगा भ्रष्टाचार का कथित दाग उसके लिए हार का सबसे बड़ा कारण बना। भाजपा ने भी आप पर हर मंचों से जोरदार प्रहार किया। खासतौर पर दिल्ली शराब नीति कथित घोटाले पर भाजपा ने आप पर तीखे वार किए। यहां तक कि इस मामले में न खुद पार्टी मुखिया केजरीवाल को जेल जाना पड़ा बल्कि सेनापति माने जाने वाले मनीष सिसोदिया से लेकर सत्येंद्र जैन और संजय सिंह तक को जेल हुई। लोगों के बीच में इस बात का संदेश साफ गया कि जो पार्टी खुद को कट्टर ईमानदार कहकर सत्ता में आई थी वो भ्रष्टाचार के दलदल में धंस गई है। केजरीवाल ने हमेशा से वीआईपी कल्चर पर सवाल उठाए, लेकिन इस बार शीश महल को लेकर उन पर ही सवाल खड़े हो गए। भाजपा-कांग्रेस ने आप को जमकर घेरा। दबाव को भांपकर सितंबर 2024 में केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। बड़े नेताओं का जेल जाना और अदालती शर्तों से बंधे रहना चुनाव से पहले बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा और इसका सीधा फायदा भाजपा को मतदान के तौर पर मिला।  भाजपा ने हाल के वर्षों में राज्य के सभी चुनावों में मुफ्त योजनाओं का एलान किया और इसका सीधा फायदा उसे राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मिल चुका है। इस बार भाजपा का मुकाबला एक बार फिर ऐसी पार्टी से था जिससे देश की सभी पार्टियों ने मुफ्त योजनाओं के एलान का सबक सीखा। भाजपा ने आप की इसी मजबूत कड़ी को काटने के लिए दिल्ली में महिलाओं को 2500 रुपये, 500 रुपये में गैस सिलेंडर, फ्री बिजली-पानी जैसी योजनाओं का न केवल एलान किया, बल्कि ये भी घोषणा की कि जो योजना पहले से दिल्ली में लागू हैं वो आगे भी जारी रहेंगी। इसके अलावा एक और बात जो भाजपा हर राज्य में कहती आ रही थी, वो है डबल इंजन सरकार की बात। दिल्ली में आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच लड़ाई जगजाहिर है। इससे लोगों के मन में एक नकारात्मक छवि बनी और लोगों को सोचने पर मजबूर किया कि केंद्र और दिल्ली दोनों जगह भाजपा की सरकार होगी तो विकास कार्यों में तेजी आएगी।

 भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में इस बार लगातार विकास की बात की और दिल्ली की दुर्दशा को सुधाने का एलान किया। भाजपा 2014 की रणनीति पर एक बार फिर से पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा। भाजपा ने हर बार की तरह इस बार भी अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे का एलान नहीं किया, जबकि आम आदमी पार्टी लगातार उस पर इस बात का हमला करती रही कि भाजपा की बरात में दूल्हा कौन है? हालांकि आप के इस नैरेटिव को भाजपा ने हावी होने नहीं दिया और पीएम के चेहरे पर ही चुनाव में उतरी। इसका नतीजा अब सबके सामने है, भाजपा की दिल्ली में 27 साल बाद वापसी। दिल्ली के वोटरों को प्रधानमंत्री की साफ सुथरी छवि, विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण भाया। सभी जनसभाओं में भाजपा ने लोगों के सामने अपने संकल्प पत्र को एक ही बात कहकर पेश कियामोदी की गारंटी। कहीं न कहीं दिल्ली की जनता को इस नारे पर यकीन हुआ और जो परिणाम अब सामने आए हैं ये उसी का नतीजा है।