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प्रथम पूज्य श्रीगणेश को क्यों कहा जाता है एकदंताय, जानें इसे जुड़े पौराणिक कथा

भगवान गणेश की पूजा करने के लिए शास्त्रों में सबसे उत्तम बताया गया है.

हम किसी भी अच्छे कार्य की शुरूआत करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा की जाती है. इस कारण गणेश जी को प्रथम पूजनीय देव कहा जाता हैं. किसी भी धार्मिक कार्य या पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजन किया जाता है. भगवान गणेश की पूजा करने के लिए शास्त्रों में सबसे उत्तम बताया गया है.

वैसे तो गणेश जी के कई नाम है जैसे- गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन आदि. लेकिन गणेशजी को इनसब के अलावा एकदंत नाम से भी जाना जाता हैं. इस नाम से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसके साथ ही भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जिसके बारें में यह मान्यता है कि भगवान गणेश का टूटा हुआ दंत वहीं पर गिरा था.

यहां गिरा था गणेश जी का दांत

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से करीब 13 किमी दूर बारसूर गांव में ढोलकल की पहाड़ियों पर लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर सैकड़ों साल पुरानी यह भव्य गणेश मूर्ति विराजमान है. यह पूरी दुनिया में दुर्लभ मूर्तियों में से मानी जाती है. इन्हें दंतेवाड़ा का रक्षक के नाम से भी जाना जाता है.

दंतेवाड़ा जिले में एक कैलाश गुफा भी मौजूद है. कहा जाता है कि यह वहीं कैलाश क्षेत्र हैं जहां गणेश जी और परशुराम के बीच भीषण युद्ध हुआ था. इस युद्ध में गणपति का एक दांत टूटकर यहां गिरा था. परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया.