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Waqf Board Controversy: गैर-मुस्लिमों की एंट्री पर सियासी घमासान, विपक्ष का जोरदार विरोध!

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रस्ताव पर जबरदस्त राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। सरकार इसे सुधारवादी कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इस पर कड़ा ऐतराज जता रहा है। जानिए, आखिर क्यों यह मुद्दा तूल पकड़ रहा है और इससे किसे क्या फायदा-नुकसान हो सकता है।

नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड से जुड़े एक नए विधेयक (Waqf Bill 2025) को लेकर देश की सियासत गर्मा गई है। इस बिल में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान किया गया है। इस प्रस्ताव को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं।
सरकार का दावा है कि यह फैसला वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए लिया जा रहा है, जबकि विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप बता रहा है।

क्या है Waqf Bill 2025?

Waqf Board एक कानूनी संस्था है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों का प्रबंधन करती है। अभी तक इसके सदस्य केवल मुस्लिम समुदाय से होते थे, लेकिन नए प्रस्ताव में गैर-मुस्लिमों को भी इसमें शामिल करने का रास्ता खोला गया है।

बिल के मुख्य बिंदु:

 गैर-मुस्लिमों को भी वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है।
वक्फ संपत्तियों का ट्रांसपेरेंट ऑडिट होगा।
राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के मामलों में अधिक अधिकार मिलेंगे।
विवादित वक्फ संपत्तियों की निगरानी के लिए नई नियमावली बनेगी।

सरकार का पक्ष:

सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए लाया जा रहा है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार:
"वक्फ बोर्ड अब तक बंद दरवाजों के पीछे काम करता था, लेकिन अब इसकी कार्यशैली अधिक पारदर्शी होगी। गैर-मुस्लिमों की भागीदारी से निष्पक्षता बनी रहेगी।"

विपक्ष का जोरदार विरोध – क्या है उनकी आपत्ति?

विपक्षी दलों ने इस बिल को मुस्लिम अधिकारों में दखल करार दिया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य ने कहा:
"वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है। इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल करना इसके मूल ढांचे को कमजोर करेगा।"

कांग्रेस, AIMIM और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि
"यह सरकार की एक और चाल है, जिससे वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण किया जा सके।"

मुस्लिम धर्मगुरु क्या कह रहे हैं?

 मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा-ए-हिंद): "वक्फ संपत्तियां केवल मुस्लिम समुदाय की होती हैं, ऐसे में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना नाइंसाफी होगी।"
मौलाना खालिद रशीद (इस्लामिक स्कॉलर): "अगर सरकार पारदर्शिता चाहती है, तो इसका हल वक्फ बोर्ड को और मजबूत बनाना है, न कि गैर-मुस्लिमों को शामिल करना।"

क्या है आम जनता की राय?

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में दखल बता रहे हैं।

 @Ravi_Kumar: "यह एक अच्छा कदम है। वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जाना चाहिए।"
@Muslim_Youth: "यह हमारी धार्मिक आजादी में हस्तक्षेप है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।"