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ISRO 100th Mission : अंतरिक्ष में नया इतिहास, GSLV-F15 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण!

ISRO ने अंतरिक्ष में ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए अपना 100वां मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। GSLV-F15 रॉकेट के जरिए नया उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया, जो भारत की तकनीकी ताकत को दर्शाता है। यह प्रक्षेपण देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। ISRO ने अपना 100वां मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है, जो भारत के लिए गर्व का क्षण है। आज सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F15 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया, जिसने अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक क्षमता को और मजबूत किया।

कैसा था ISRO का 100वां मिशन?

यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ता है। GSLV-F15 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) एक अत्याधुनिक रॉकेट है, जो संचार, पृथ्वी अवलोकन और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायक होगा। इसरो ने इस मिशन के जरिए नए उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित किया है।

GSLV-F15 की खासियत क्या है?

मजबूत इंजन: इस रॉकेट में क्रायोजेनिक अपर स्टेज (Cryogenic Upper Stage) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसकी क्षमता बढ़ी है।
उन्नत पेलोड: इसरो ने इसमें हाई-रिजोल्यूशन कैमरा और संचार उपकरण लगाए हैं, जो मौसम पूर्वानुमान, संचार सेवाओं और सैन्य निगरानी में मदद करेंगे।
भविष्य की संभावनाएं: यह मिशन भारत के आगामी चंद्रमा और मंगल अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

ISRO प्रमुख का बयान

ISRO अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा,
"आज का दिन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक है। यह मिशन हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीकी कौशल का प्रमाण है।"

भारत के अंतरिक्ष अभियान में नया अध्याय

ISRO का यह 100वां मिशन दर्शाता है कि भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। यह प्रक्षेपण चंद्रयान, मंगलयान और आदित्य-एल1 मिशन के बाद एक और महत्वपूर्ण सफलता है।

क्यों खास है यह मिशन?

1️⃣ भारत की अंतरिक्ष तकनीक को और मजबूती मिलेगी।
2️⃣ संचार और मौसम निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।
3️⃣ डिफेंस और नेविगेशन सिस्टम को नई ऊंचाई मिलेगी।
4️⃣ ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री में भारत की भूमिका और मजबूत होगी।

कैसा रहा लॉन्चिंग का नजारा?

लॉन्चिंग के दौरान श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर वैज्ञानिकों और अधिकारियों की भारी भीड़ थी। जैसे ही GSLV-F15 रॉकेट ने उड़ान भरी, पूरा कंट्रोल रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इसरो की इस उपलब्धि पर नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और रूस के रोस्कोस्मोस ने बधाई दी है। नासा के एक वैज्ञानिक ने कहा,
"भारत का यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में एक बड़ी छलांग है और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसर खोलेगा।"

भारत का अगला मिशन क्या होगा?

1️⃣ चंद्रयान-4: 2026 तक चंद्रमा पर नई खोज।
2️⃣ गगनयान मिशन: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन।
3️⃣ शुक्र अभियान: 2030 तक शुक्र ग्रह का अध्ययन।