कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे के महाकुंभ पर दिए गए बयान को लेकर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। खरगे ने हाल ही में एक सभा के दौरान महाकुंभ को लेकर टिप्पणी की, जिसे भाजपा ने आस्था का मजाक उड़ाने के रूप में लिया। भाजपा नेताओं का कहना है कि खरगे का बयान हिंदू आस्था का अपमान है और यह समाज को बांटने की कोशिश है। इस पर अब भाजपा ने कांग्रेस से इस बयान पर जवाब मांगते हुए संबित पात्रा ने खुली चुनौती दी है।
संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, "जो लोग हिंदू धर्म और महाकुंभ का मजाक उड़ा रहे हैं, वे भारत की संस्कृति और आस्था का अपमान कर रहे हैं। हम कांग्रेस से यह सवाल पूछते हैं कि क्या वे इस बयान पर माफी मांगेंगे?" उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस को अब यह साबित करना होगा कि वे समाज में नफरत नहीं फैलाते।
खरगे के बयान में यह आरोप था कि महाकुंभ जैसे आयोजन केवल राजनीतिक लाभ के लिए होते हैं और उनकी आस्था से कोई संबंध नहीं है। खरगे का यह बयान कांग्रेस पार्टी के लिए एक नए विवाद का कारण बन गया है। भाजपा ने इसे सीधे तौर पर आस्था और धर्म पर हमला करार दिया।
इस बयान के बाद भा.ज.पा. ने कांग्रेस से सवाल उठाते हुए कहा कि क्या कांग्रेस पार्टी अपने नेताओं की टिप्पणियों पर नियंत्रण रखेगी? उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बयान केवल धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से दिए जाते हैं। भाजपा के नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है और इसे किसी भी राजनीतिक फायदे के लिए अपमानित नहीं किया जा सकता है।
संबित पात्रा ने कांग्रेस को चेतावनी दी कि अगर वह इस विवाद से बाहर नहीं निकलती तो भाजपा अगले कदम के रूप में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सकती है। इस बीच, उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा हमेशा हिंदू धर्म और उसकी आस्थाओं का सम्मान करती है, और इस तरह के बयान केवल कांग्रेस की राजनीतिक पैंतरेबाजी का हिस्सा हैं।
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने खरगे के बयान का बचाव किया है, लेकिन यह मामला अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान से कांग्रेस को हिंदू वोट बैंक से दूर जाने का खतरा हो सकता है, जबकि भाजपा इसे अपनी राजनीतिक बढ़त के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी में है।
इस विवाद ने अब भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ लिया है, जहां धर्म और राजनीति के बीच की खाई और गहरी होती जा रही है। लोग अब यह जानने को उत्सुक हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या खरगे के बयान पर पार्टी कोई सफाई देती है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर धर्म और राजनीति के जटिल रिश्ते को उजागर किया है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक चर्चा का केन्द्र बन सकता है।