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Sankashti Chaturthi 2025: चैत्र माह में कब है संकष्टी चतुर्थी? जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

चैत्र माह की संकष्टी चतुर्थी 15 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। चैत्र माह की संकष्टी चतुर्थी 2025 में विशेष महत्व रखती है, और भक्तजन इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

चैत्र माह की संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि:

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 15 मार्च 2025 को दोपहर 11:52 बजे से होगा, और यह तिथि 16 मार्च 2025 को दोपहर 2:15 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत 15 मार्च 2025 को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय:

संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय का समय रात्रि 11:51 बजे है। भक्तजन इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।

पूजा विधि:

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. भगवान गणेश को दूर्वा, सिंदूर, चंदन, और लाल फूल अर्पित करें।
  4. मोदक, लड्डू, या अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं, क्योंकि ये गणपति जी को प्रिय हैं।
  5. धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें।
  6. गणेश मंत्रों का जाप करें, जैसे:
    • "ॐ गण गणपतये नमः"
    • "श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"
  7. रात्रि में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व:

संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं, और भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख, स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्तजन इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।