हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 10 में से 9 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत हासिल की है। कांग्रेस पार्टी को इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वह किसी भी नगर निगम में मेयर पद नहीं जीत सकी।
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अंबाला नगर निगम: यहां भाजपा की सैलजा सचदेवा ने कांग्रेस की अमीषा चावला को हराकर मेयर पद जीता।
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मानेसर नगर निगम: इस नए नगर निगम में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव ने भाजपा के सुंदर लाल को पराजित किया।
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हिसार नगर निगम: भाजपा उम्मीदवार प्रवीन पोपली ने कांग्रेस के कृष्ण सिंगला को बड़े अंतर से हराया।
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करनाल नगर निगम: भाजपा की रेणु बाला गुप्ता ने कांग्रेस के मनोज वधवा को पराजित किया।
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गुरुग्राम नगर निगम: भाजपा की राज रानी ने कांग्रेस की सीमा पाहुजा को हराया।
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रोहतक नगर निगम: भाजपा के राम अवतार वाल्मीकि ने कांग्रेस के सूरजमल किलोई को पराजित किया।
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फरीदाबाद नगर निगम: भाजपा के प्रवीन जोशी ने कांग्रेस की लता रानी को हराया।
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यमुनानगर नगर निगम: भाजपा की सुमन बहमनी ने कांग्रेस की किरणा देवी को पराजित किया।
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पानीपत नगर निगम: भाजपा की कोमल सैनी ने कांग्रेस की सविता गर्ग को हराया।
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सोनीपत नगर निगम: यहां भी भाजपा के राजीव जैन ने कांग्रेस के कमल दीवान को पराजित किया।
2 और 9 मार्च 2025 को हरियाणा के 10 नगर निगमों और 32 अन्य निकायों में मतदान हुआ था। इन चुनावों को हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था। विधानसभा चुनावों में भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी, लेकिन कांग्रेस ने भी मजबूत प्रदर्शन किया था।
भाजपा की रणनीति और सफलता: भाजपा ने निकाय चुनावों में अपनी संगठनात्मक क्षमता और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। पार्टी ने स्थानीय नेताओं को महत्वपूर्ण भूमिका दी और विकास कार्यों को प्रमुख मुद्दा बनाया। इस रणनीति का परिणाम यह रहा कि पार्टी ने 10 में से 9 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत हासिल की।
कांग्रेस की स्थिति: कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा। वह किसी भी नगर निगम में मेयर पद नहीं जीत सकी। यह परिणाम पार्टी के लिए आत्ममंथन का विषय है, खासकर तब जब विधानसभा चुनावों में उसने बेहतर प्रदर्शन किया था।
स्वतंत्र उम्मीदवारों का उदय: मानेसर नगर निगम में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव की जीत ने यह साबित किया है कि स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत छवि के आधार पर भी चुनाव जीते जा सकते हैं। यह भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए संकेत है कि उन्हें जमीनी स्तर पर और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
भाजपा के लिए यह जीत आगामी चुनावों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। पार्टी को अब इन नगर निगमों में अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। वहीं, कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करना होगा।