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Punjab News: NITI आयोग की बैठक में इन चार राज्यों के साथ-साथ CM मान भी नहीं होंगे शामिल, इंडिया ब्लॉक ने लगाया था आरोप

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे। जानकारी के मुताबिक चार ऐसे और राज्य है जो नीति आयोग्य की बैठक में शामिल नहीं होंगे।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने इंडिया ब्लॉक के साथ आने का फैसला किया है। यही वजह है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे। जानकारी के मुताबिक चार ऐसे और राज्य है जो नीति आयोग्य की बैठक में शामिल नहीं होंगे। 

आम आदमी पार्टी यह फैसला बुधवार को आया है। जिसके एक दिन पहले मंगलवार को इंडिया ब्लॉक ने आरोप लगाया था कि वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में गैर-एनडीए शासित राज्यों की अनदेखी की गई है और इसके बाद कांग्रेस और डीएमके ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।

27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक में चार राज्यों के शामिल होने के इन्कार के बाद पंजाब ने भी फैसला किया है कि वह भी इस बैठक में शामिल नहीं होगा। कांग्रेस की सत्ता वाले तीन राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना व हिमाचल प्रदेश ने नीति आयोग की में शामिल ही मना कर दिया है। इसके अलावा डीएमके शासित तमिलनाडु भी इस बैठक में शामिल नहीं होगा।

पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब सरकार ने नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। पार्टी आइएनडीआइए की सहयोगी है, इसलिए वह भी गठबंधन के घटक दलों के फैसले के साथ है। आप महासचिव संगठन डॉ. संदीप पाठक ने कहा है कि नीति आयोग की बैठक का कोई लाभ नहीं होता। वहां बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन होता कुछ नहीं है।

नीति आयोग की बैठक में केवल किसी राज्य को पीछे धकेलने और किसी राज्य को आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा की जाती है। उन्होंने कहा कि आज केंद्र की मोदी सरकार छोटी मानसिकता से राजनीति कर रही है। हमें सरकार को जगाने की आवश्यकता है। उन्हें बताना पड़ेगा कि आप गलत कर रहे हो।

पीएम मोदी एक विशाल और महान देश के प्रधानमंत्री हैं और आप ऐसी छोटी मानसिकता के साथ राजनीति करेंगे तो देश आगे कैसे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मंगलवार को प्रस्तुत आम बजट में देश के अधिकांश राज्यों को नजरअंदाज किया गया है।