गुरुग्राम के प्रतिष्ठित डीएलएफ फेज-1 से लेकर फेज-5 तक के क्षेत्रों में लगभग 5000 मकानों को सील करने का आदेश जारी किया गया है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 13 फरवरी 2025 को इन मकानों में नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र के उल्लंघन के मामलों में यह सख्त निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति सुरेशवर ठाकुर और न्यायमूर्ति विकास सूरी की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को दो महीने के भीतर इन मकानों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, और 19 अप्रैल 2025 तक कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
यह मामला 2021 में डीएलएफ फेज-3 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) द्वारा दायर एक याचिका से शुरू हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग में शिकायतों के बावजूद इन मकानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका में कहा गया कि कई मकान छह से सात मंजिल तक बनाए गए हैं, जिनमें व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं, जिससे बुनियादी सुविधाओं और पार्किंग की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
डीटीपीई कार्यालय के कारण बताओ नोटिस पर जिला अदालत ने 172 मकानों पर कार्रवाई को लेकर स्थगन आदेश (स्टे) दिया हुआ था। उच्च न्यायालय ने जिला अदालत को याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का मौका देकर दो महीने के भीतर इनका निपटारा करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इस प्रकार के मामलों की सुनवाई जिला अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं है, और भविष्य में ऐसे मामलों की सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।
डीएलएफ फेज-3 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के 3124 प्लॉट हैं, जिनमें से 2289 मकानों में नक्शे और कब्जा प्रमाणपत्र का उल्लंघन पाया गया है। डीटीपीई कार्यालय ने इनमें से 2245 मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, अन्य फेज़ में भी कई मकानों में नियमों का उल्लंघन पाया गया है, जिनमें व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं।
इस आदेश के बाद, प्रभावित मकान मालिकों में हड़कंप मच गया है। कई मकान मालिकों का कहना है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, फिर भी उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। उनका कहना है कि वे इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाएंगे।
नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने पालम विहार के सी-2 ब्लॉक में भी 150 फ्लैट्स को सील करने की तैयारी की है, जिनमें नक्शे के उल्लंघन के साथ निर्माण किया गया है। इसके लिए विभाग ने जिला उपायुक्त से पुलिस बल और ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मांग की है, ताकि सीलिंग की कार्रवाई को सुचारू रूप से अंजाम दिया जा सके।
इस घटनाक्रम से गुरुग्राम के रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल मच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई अन्य क्षेत्रों में भी नियमों के उल्लंघन के खिलाफ सख्ती का संकेत है। आगामी दिनों में, इस मामले में और भी विकास होने की संभावना है, क्योंकि प्रभावित पक्ष कानूनी उपायों की तलाश में हैं।