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Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि में पढ़ें माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कथा !
क्या आपने कभी सोचा है कि माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई? उनकी अद्वितीय शक्तियाँ कहाँ से आईं? इस नवरात्रि, हम आपको बताएंगे माँ दुर्गा के प्रकट्य की कथा।
इस वर्ष 3 अक्टूबर से नवरात्रि का त्योहार आरंभ हो चुका है, जो 12 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ सम्पन्न होगा। इस पवित्र पर्व के दौरान, माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई? उनकी अद्वितीय शक्तियाँ कहाँ से आईं? इस नवरात्रि, हम आपको बताएंगे माँ दुर्गा के प्रकट्य की कथा।
माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कथा
पुराणों में माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कथा अत्यंत रोचक है। जब देवता असुरों के अत्याचार से त्रस्त हो गए, तो उन्होंने ब्रह्मा जी से सहायता मांगी। ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि केवल एक कुंवारी कन्या ही दैत्यराज का वध कर सकती है। इसके बाद, सभी देवताओं ने अपने तेज को एकत्रित किया, जिससे माँ दुर्गा प्रकट हुईं।
देवों के देव महादेव शिव से माँ का चेहरा बना, भगवान विष्णु के तेज से उनके हाथ बने, और ब्रह्मा जी ने माँ के चरणों का निर्माण किया। यमराज के तेज से उनके बाल, चंद्रमा के तेज से उनके स्तन, इंद्र के तेज से कमर, और विभिन्न देवताओं के योगदान से माँ दुर्गा का संपूर्ण रूप बना।
माँ दुर्गा की शक्तियाँ
माँ दुर्गा को असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए अत्यधिक शक्ति की आवश्यकता थी। भगवान शिव ने उन्हें त्रिशूल प्रदान किया, भगवान विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, और अन्य देवताओं ने विभिन्न दिव्य अस्त्र दिए। इसके अलावा, माँ दुर्गा को समुद्र से अद्वितीय वस्त्र, आभूषण, और सुंदर कंगन भी प्राप्त हुए।
इन सभी शक्तियों और वस्त्रों को माँ दुर्गा ने अपनी 18 भुजाओं में धारण किया, जिससे उनका रूप असुरों में भय का संचार करने वाला बन गया। माँ दुर्गा की अपार शक्तियाँ उन्हें अद्वितीय बनाती हैं, और इसलिए उन्हें आदिशक्ति कहा जाता है।
इस प्रकार, माँ दुर्गा का यह विराट स्वरूप हमें उनकी शक्ति और महिमा का अनुभव कराता है, जो किसी भी असुर से लड़ने के लिए सक्षम है।