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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले से ISKCON की चिंता गहराई, गौरांग दास बोले- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर उठाए जाएं ठोस कदम

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हालिया हमलों ने ISKCON की चिंता को बढ़ा दिया है। ISKCON के प्रवक्ता गौरांग दास ने सरकार से सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों की घटनाओं ने एक बार फिर से वहां की अल्पसंख्यक सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन हमलों से न केवल हिंदू समुदाय भयभीत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। खासकर, भारत में इस मुद्दे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।

ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस), जो वैश्विक स्तर पर हिंदू धर्म का प्रचार और प्रसार करती है, ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ISKCON के वरिष्ठ प्रवक्ता गौरांग दास ने अपने बयान में बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वह अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए।

ISKCON की प्रतिक्रिया:

ISKCON ने कहा कि, "हम बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगातार हो रहे हमलों से बेहद चिंतित हैं। ये घटनाएं न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार करती हैं, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन करती हैं।" गौरांग दास ने एक वीडियो संदेश में कहा, "यह समय है कि बांग्लादेश सरकार अपनी अल्पसंख्यक सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार करे और इसे और मजबूत बनाए। किसी भी धार्मिक समुदाय को अपनी आस्था और परंपराओं का पालन करने में डर महसूस नहीं होना चाहिए।"

घटनाओं की पृष्ठभूमि:

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं हैं। हर साल दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं। इस साल भी कुछ कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़, मूर्तियों को खंडित करना और हिंदुओं के घर जलाने की घटनाएं सामने आईं। ये घटनाएं बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष छवि को ठेस पहुंचाती हैं और देश के भीतर सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती हैं।

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल:

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश सरकार को अपनी नीति को सख्त करना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मांग उठ रही है कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए कानून को और मजबूत किया जाए।

भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद, इस तरह की घटनाएं दोनों देशों के रिश्तों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

गौरांग दास का आह्वान:

गौरांग दास ने अपने बयान में कहा कि, "यह समय है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस मुद्दे पर ध्यान दे और बांग्लादेश सरकार को धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने को प्रेरित करे।"

यह समय की मांग है कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। धार्मिक स्वतंत्रता हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना हर सरकार का कर्तव्य है।