राज्यसभा में शुक्रवार को किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी का मुद्दा
गूंजा। इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जब अपनी बात रख रहे थे,
तभी कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने हंगामा किया और सदन की
कार्यवाही बाधित की। प्रश्नकाल के दौरान हंगामा तब शुरू हुआ, जब चौहान ने
किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया।
उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को मजबूत करने पर विचार कर
रही समिति के बारे में बात की। लेकिन फसलों के समर्थन मूल्य के लिए कानूनी
गारंटी के बारे में बात करते हुए रुक गए। कृषि मंत्री की टिप्पणी के बाद
रणदीप सुरजेवाला और जयराम रमेश सहित कांग्रेस सांसदों ने यह कहते हुए विरोध
किया कि चौहान का जवाब अधूरा है। राज्यसभा के सभापतिजगदीप धनखड़ ने स्थिति को
शांत करने की कोशिश की और कहा कि मंत्री ने विस्तार से जवाब दिया है और अगर
सदस्य संतष्टु नहीं हैं, तो उन्हें जवाब मांगने के लिए उपलब्ध रास्ते का
उपयोग करना चाहिए।
धनखड़ ने सदस्यों से बार-बार कार्यवाही को जारी रखने के
लिए कहा और सदन को बाधित करने वाले सदस्यों का नाम लेने की चेतावनी भी दी।
नियम के मुताबिक, सभापति की ओर से जिस सदस्य का नाम लिया जाता है, उसे शेष
दिन के लिए सदन से बाहर जाना होता है। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी
जारी रखी। जिससे कुछ और मिनटों के लिए कार्यवाही बाधित हुई। उन्होंने कहा कि
एमएसपी प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने पर सुझाव देने के लिए
समिति बनाई गई है। इसके अलावा, समिति को कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी)
को अधिक स्वायत्ता देने की व्यवहारिकता और इसे और अधिक वैज्ञानिक बनाने के
तरीकों की जांच करने को कहा गया है। इस समिति की बैठकें नियमित रूप से की जा
रही हैं। 22 जुलाई 2022 से समिति की छह बार बैठक हो चुकी है। इसके अलावा,
विभिन्न उप समितियों की 35 बैठकें भी आयोजित की गई हैं। चौहान ने कहा, “समिति
जब भी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, सरकार उसकी समीक्षा करेगी।” इस सवाल पर कि क्या
सरकार किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देना चाहती है या नहीं, मंत्री ने
कहा कि सरकार किसानों के लिए कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है।