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Indian Air Force की आत्मनिर्भर उड़ान: अब देश में ही बनेगा Mi-17V5 हेलीकॉप्टर का इंजन!

भारतीय वायुसेना ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। अब देश में ही Mi-17V5 हेलीकॉप्टर के लिए इंजन निर्माण की योजना को मंजूरी दी गई है। यह फैसला रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को और मजबूती देगा और विदेशी निर्भरता को कम करेगा।

भारतीय वायुसेना ने Mi-17V5 हेलीकॉप्टर के लिए देश में ही इंजन निर्माण की घोषणा कर दी है। यह फैसला भारत के आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब तक इन हेलीकॉप्टरों के इंजन रूस से आयात किए जाते थे, लेकिन भारत सरकार ने Make in India पहल के तहत इन्हें स्वदेशी रूप से विकसित करने का निर्णय लिया है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, Hindustan Aeronautics Limited (HAL) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) के सहयोग से यह इंजन निर्माण परियोजना चलाई जाएगी। इस परियोजना के तहत उच्च तकनीक वाले एविएशन टर्बाइन इंजन का उत्पादन किया जाएगा, जिससे न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

Mi-17V5 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना का एक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है, जिसे सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन, सैनिकों और सामग्री के परिवहन, और आपदा राहत कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। यह हेलीकॉप्टर बेहद शक्तिशाली इंजन, लंबी उड़ान क्षमता, और अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम से लैस है।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 200 से अधिक Mi-17V5 हेलीकॉप्टर सेवा में हैं, जो विभिन्न मिशनों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में, इंजन का स्वदेशी निर्माण भारतीय रक्षा प्रणाली के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा।

  1. आर्थिक लाभ:

    • देश में ही इंजन बनने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी और रक्षा बजट का बोझ कम होगा।
    • HAL और BDL के साथ MSME सेक्टर को भी उत्पादन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, जिससे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
  2. रक्षा आत्मनिर्भरता:

    • स्वदेशी उत्पादन के कारण भारत को किसी अन्य देश पर आयात के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
    • आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) पर भारत का नियंत्रण मजबूत होगा, जिससे मिशन क्रिटिकल आवश्यकताओं को तेजी से पूरा किया जा सकेगा।
  3. रोजगार के अवसर:

    • इस परियोजना से हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, विशेष रूप से तकनीकी और उत्पादन क्षेत्र में।
    • रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) में काम करने वाले इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को भी इस परियोजना में बड़ी भूमिका मिलेगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक ऐतिहासिक कदम है। भारतीय वायुसेना की ताकत अब अपने ही देश में बने इंजन से बढ़ेगी।"

भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने भी इस पहल को "रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक" बताया। उन्होंने कहा, "हमारे हेलीकॉप्टरों के इंजन अब भारत में ही बनेंगे, जिससे संचालन और रखरखाव में भी आसानी होगी।"

Mi-17V5 हेलीकॉप्टरों के इंजन अब तक रूस के क्लिमोव डिजाइन ब्यूरो द्वारा बनाए जाते थे। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण इन इंजनों की उपलब्धता प्रभावित हुई है।

स्वदेशी उत्पादन के बाद भारत को इंजन की स्पेयर पार्ट्स और मेंटेनेंस के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह परियोजना 2025 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद HAL द्वारा पहले प्रोटोटाइप इंजन का परीक्षण किया जाएगा और फिर सीरियल प्रोडक्शन शुरू किया जाएगा।

इस फैसले पर रक्षा विशेषज्ञों और आम जनता की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है। डिफेंस एनालिस्ट अजय शुक्ला ने कहा, "यह परियोजना भारत को हेलीकॉप्टर इंजन निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक रक्षा बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाएगी।"

सोशल मीडिया पर भी यह खबर ट्रेंड कर रही है। ट्विटर पर #MakeInIndia #IndianAirForce #Mi17V5Engine जैसे हैशटैग के साथ हजारों यूजर्स ने इस फैसले का स्वागत किया है।

भारत में Mi-17V5 हेलीकॉप्टर के इंजन निर्माण का यह कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को दर्शाता है। इससे रक्षा क्षेत्र में देश की स्वावलंबन क्षमता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

अब देखना होगा कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत और सामरिक क्षमताओं में कितना बदलाव आता है।