राजकरण

इजलाल समेत सभी को उम्र कै द

तीन युवकों की बेरहमी से की गई थी हत्या, 16 साल बाद आया फैसला, सभी पर 50-50 हजार का अर्थदंड

हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर की। पुलिस ने इस मामले में 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। शीबा को हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया। 16 साल पुरानी वारदात में 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। 7 आरोपी अभी जेल में हैं। एक की मौत हो चुकी है। 6 आरोपी जमानत पर हैं। हत्यारों ने घर बुलाकर तीनों युवकों को पहले गोली मारी, फिर तलवार से गला काटा गया। लाठी-डंडों से पीटा। मुख्य आरोपियों में हाजी इजलाल, अफजाल, परवेज (तीनों भाई), मन्नू ड्राइवर, मेहराज, इसरार, कलवा उर्फ कल्लू उर्फ अब्दुल रहमान, रिजवान, बदरुद्दीन, वसीम, अजहार, शम्मी, माजिद और शीबा सिरोही। 7 आरोपी जेल में हें, जिनमें इजलाल, अफजाल, मन्नू ड्राईवर, इसरार, कल्लू, इजहार और शम्मी, जबकि 6 आरोपी परवजे , मेहराज, रिजवान, बदरुद्दीन, वसीम और शीबा सिरोही जमानत पर हैं और एक आरोपी माजिद की मौत हो चुकी है।

इस मामले में 16 साल बाद दो अगस्त को अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-2 पवन कुमार शुक्ला ने इजलाल कुरैशी पुत्र इकबाल, अफजाल पुत्र इकबाल, महराज पुत्र मेहताब, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र उस्मान और बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श और शीबा सिरोही पर लगाए गए आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद कश्यप ने बताया कि भारतीय दंड संहिता के अनुसार उम्रकैद में दोषी व्यक्ति को शेष बचे जीवनकाल के लिए जेल में रहना होगा, जब तक कि अच्छे व्यवहार या कार्यकारी क्षमादान जैसे कुछ आधारों पर उनकी रिहाई का प्रावधान न हो। दंड प्रक्रिया संहिता 14 साल की कैद पूरी होने के बाद उम्रकैद की सजा की समीक्षा की अनुमति देती है।

गुदड़ी बाजार तिहरे हत्याकांड में वादी पक्ष और सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि ये हत्याकांड जघन्य हत्याकांड की श्रेणी में आता है, ऐसे में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाए। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मुलजिमों का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। तीन शवों के टुकड़े नहीं किए गए, यह सिर्फ मीडिया ट्रायल है। ऐसे में यह दुर्लभ श्रेणी में नहीं आता है। वादी पक्ष के वकील की तरफ से बहस की गई कि तीनों युवकों के साथ जानवरों जैसा सलूक हुआ, छुरे से उनके गले काटे गए, गोलियां मारी गईं, पाइपों से पीटा गया। ऐसे लोग समाज के लिए खतरा हैं। इसलिए ऐसे दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जज डायस से उठ गए। लंच के बाद वह वापस डायस पर पहुंचे और दोपहर बाद पाैने चार बजे फैसला सुनाया।