अयोध्या (एजेंसी)।
भगवान श्रीराम की
ऐतिहासिक पदयात्रा
को चिरस्थायी स्मारक
स्वरूप देने की दिशा में
एक महत्वपूर्ण पहल
करते हुए श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास और अशोक सिंहल
फाउंडेशन द्वारा ‘श्रीराम स्तम्भ’ अभियान शुरू किया गया है।
इसी के अंतर्गत दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकर्ता सम्मेलन
का शुभारंभ अयोध्या के कारसेवकपुरम में हुआ। इस सम्मेलन में श्रीराम
जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय ने कार्यकर्ताओं को संबोधित
करते हुए बताया कि श्रीराम वनगमन मार्ग पर चिन्हित 292 महत्वपूर्ण
स्थलों पर श्रीराम स्तम्भ की स्थापना की जाएगी। यह मार्ग भारत से नेपाल
और श्रीलंका तक फैली हुई भगवान श्रीराम की लगभग 5000 किमी लंबी
पदयात्रा को दर्शाता है।
चम्पत राय ने बताया कि यह शोधकार्य डॉ. राम
अवतार शर्मा के नेतृत्व में हुआ, जिसमें वाल्मीकि रामायण और अन्य
ग्रंथों की सहायता से प्रत्येक स्थल की ऐतिहासिकता की पुष्टि की गई।
उन्होंने बताया कि इस मार्ग की पहचान आसान नहीं थी। भूगोल, संस्कृति
और भाषा की विविधताओं के बीच यह एक कठिन तपस्या की तरह था।
श्रीराम स्तम्भ की संरचना पर विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने
बताया कि यह स्तम्भ 15 फीट ऊंचा, ढाई फीट चौड़ा और 5 फीट आधार
वाला होगा, जिसका भार लगभग 12 टन है। स्तम्भ के शीर्ष पर साढ़े पांच
फीट ऊंचा पीतल निर्मित ध्वज प्रतिष्ठित होगा।
इसमें संस्कृत, हिन्दी और
स्थानीय भाषा में स्थल की महत्ता तथा भगवान श्रीराम के उससे संबंध
का विवरण अंकित होगा। साथ ही, सूर्यवंश के प्रमुख प्रतीकों को भी
उकेरा जाएगा। सम्मेलन में यह भी बताया गया कि इन स्थलों और उनके
ऐतिहासिक-पौराणिक विवरणों पर आधारित एक भव्य कॉफी टेबल
बुक भी तैयार की जा रही है, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक दस्तावेज का
कार्य करेगी। सम्मेलन में देशभर से आए श्रीराम के अनुयायी, शोधकर्ता
और कार्यकर्ता इस अभियान को जनसहयोग से गति देने की दिशा में
रणनीति बना रहे हैं, जिससे श्रीराम के पदचिन्हों को युगों तक संरक्षित
और स्मरणीय रखा जा सके।