शारदीय नवरात्रि शुरुआत 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से हो चुकी है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगी। प्रतिपदा तिथि पर कलशस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष देवी मां पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं।
देवी दुर्गा विश्व की माता हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा करने से सभी कष्ट, रोग, दोष, दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है। नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। ऐसे में आइए जानते है कि नवदुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा की क्या मान्यता है और माता रानी की उपासना विधि से क्या लाभ होता
कौन हैं मां कूष्मांडा?
मां कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है। उनकी आठ भुजाएं हैं, उनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, कलश, चक्र और गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माला है। देवी के हाथ में जो अमृत कलश है, वह अपने भक्तों को लंबी आयु और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है। माता सिंह की सवारी करती हैं, जो धर्म का प्रतीक है