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पासपोर्ट रैंकिंग 2025: नेपाल से भी पीछे पाकिस्तान, जानिए भारत कौन से स्थान पर है

2025 की नई पासपोर्ट रैंकिंग जारी हो चुकी है। पाकिस्तान की स्थिति इस बार नेपाल से भी खराब है, जबकि भारत ने अपनी स्थिति में सुधार किया है। जानिए पूरी रिपोर्ट और किस देश का पासपोर्ट है सबसे ताकतवर।

2025 की ग्लोबल पासपोर्ट रैंकिंग में कई देशों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है, जबकि कुछ देशों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इस सूची में भारत, नेपाल, और पाकिस्तान जैसे देशों की रैंकिंग खास चर्चा का विषय बनी हुई है। दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट कौन सा है और भारत ने इस बार कौन सी जगह हासिल की है, इस पर नजर डालते हैं।

सबसे ताकतवर पासपोर्ट किस देश का?

ग्लोबल पासपोर्ट रैंकिंग को हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के तहत जारी किया गया। इस बार भी जापान, सिंगापुर, और जर्मनी जैसे देशों ने शीर्ष स्थान पर कब्जा जमाया। जापान का पासपोर्ट इस साल दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बन गया है, जो 193 देशों में वीजा-फ्री एंट्री प्रदान करता है।

भारत की स्थिति

भारत ने इस साल अपनी रैंकिंग में सुधार किया है और 85वें स्थान पर पहुंच गया है। भारतीय पासपोर्ट अब 59 देशों में बिना वीजा के यात्रा करने की अनुमति देता है। यह सुधार भारतीय नागरिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा को और आसान बनाएगा।

पाकिस्तान और नेपाल की रैंकिंग

पाकिस्तान की स्थिति इस बार बेहद खराब रही। इसे 94वें स्थान पर रखा गया है, जो नेपाल (92वें स्थान) से भी नीचे है। पाकिस्तान का पासपोर्ट केवल 32 देशों में वीजा-फ्री यात्रा की अनुमति देता है। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय हो सकती है।

पासपोर्ट रैंकिंग का आधार

यह रैंकिंग प्रत्येक देश के पासपोर्ट की वीजा-फ्री एंट्री और इंटरनेशनल यात्रा की सहूलियत पर आधारित होती है। जिन देशों के नागरिक बिना वीजा के अधिक देशों की यात्रा कर सकते हैं, उनका पासपोर्ट अधिक ताकतवर माना जाता है।

भारतीयों के लिए क्या बदल गया?

भारतीय पासपोर्ट धारक अब एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में वीजा-ऑन-अराइवल जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके साथ ही, भारत की विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों ने इस रैंकिंग में सुधार करने में अहम भूमिका निभाई है।

ग्लोबल पासपोर्ट रैंकिंग हर साल देशों की वीजा नीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक बड़ा प्रतिबिंब होती है। भारत की रैंकिंग में सुधार इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी स्थिति मजबूत हो रही है। वहीं पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों के लिए यह रैंकिंग एक चेतावनी की तरह है।