नई दिल्ली/ढाका, 9 जनवरी 2025: बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द करने के बाद यूनुस सरकार ने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है। इस बीच, भारत ने शेख हसीना को वीजा प्रदान कर एक कूटनीतिक संदेश दिया है। यह घटना दक्षिण एशियाई राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई है।
पासपोर्ट रद्द करने का कारण
बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने शेख हसीना पर भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं। सरकार का कहना है कि इन आरोपों की जांच के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। पासपोर्ट रद्द करने के बाद हसीना की विदेश यात्रा पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
भारत ने क्यों बढ़ाया वीजा?
ऐसे समय में जब बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है, भारत ने शेख हसीना को वीजा देकर अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत की है। भारतीय अधिकारियों ने इसे "मानवीय कदम" बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को बढ़ाने की योजना का हिस्सा है।
यूनुस सरकार की आलोचना
यूनुस सरकार के इस कदम की बांग्लादेश के भीतर और बाहर भारी आलोचना हो रही है। हसीना समर्थकों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक प्रतिशोध है और लोकतंत्र पर हमला है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि शेख हसीना के पासपोर्ट रद्द करने का कदम यूनुस सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किलें पैदा कर सकता है। भारत का वीजा प्रदान करना यूनुस सरकार के लिए एक नई चुनौती साबित हो सकता है।
बांग्लादेश-भारत संबंधों पर असर
- भारत की रणनीति:
शेख हसीना को समर्थन देकर भारत ने यह संकेत दिया है कि वह बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन करता है।
- बांग्लादेश की प्रतिक्रिया:
यूनुस सरकार ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन इसके चलते दोनों देशों के संबंधों में खटास आने की संभावना है।
हसीना के समर्थकों का बयान
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस कदम को "तानाशाही" करार दिया और यूनुस सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
क्या होगी यूनुस सरकार की अगली चाल?
बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल के बीच सवाल यह उठता है कि यूनुस सरकार अब शेख हसीना के खिलाफ क्या कदम उठाएगी। क्या वह अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर सकेगी, या यह विवाद उसके लिए राजनीतिक संकट का कारण बनेगा?
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र ने इस घटना पर चिंता जताई है। उन्होंने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की रक्षा की अपील की है।