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माघ माह 2025: कब पड़ेंगे प्रदोष व्रत? जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

माघ माह 2025 में प्रदोष व्रत 10 जनवरी और 24 जनवरी को पड़ेगा। जानें इन तिथियों के शुभ मुहूर्त, व्रत की विधि और इसके लाभ की पूरी जानकारी।

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला एक पवित्र व्रत है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है। माघ का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है, और इस दौरान प्रदोष व्रत का पालन करने से शुभ फल मिलता है। इस लेख में हम माघ 2025 में प्रदोष व्रत की सभी तारीखों, उनके शुभ मुहूर्त, और पूजा की विधि की विस्तार से जानकारी देंगे।

माघ 2025 में प्रदोष व्रत की तारीखें और शुभ मुहूर्त:

माघ माह में दो प्रदोष व्रत पड़ेंगे। ये तिथियां और उनके शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

  1. पहला प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

    • तारीख: 10 जनवरी 2025 (शुक्रवार)
    • शुभ मुहूर्त:
      • प्रदोष काल: शाम 05:45 से शाम 07:15 तक
      • पूजा का उत्तम समय: शाम 06:00 से 06:45 तक
  2. दूसरा प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

    • तारीख: 24 जनवरी 2025 (शुक्रवार)
    • शुभ मुहूर्त:
      • प्रदोष काल: शाम 05:50 से शाम 07:20 तक
      • पूजा का उत्तम समय: शाम 06:10 से 06:50 तक

प्रदोष व्रत का महत्व:

प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। यह व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इसे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने वाला भी माना जाता है। माघ माह में, जब सर्दियां अपने चरम पर होती हैं, भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।

व्रत रखने वाले भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। इस व्रत को करने से विशेष रूप से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
  • आर्थिक तंगी खत्म होती है।
  • दांपत्य जीवन में सुख और शांति बनी रहती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 

व्रत की विधि (पूजा पद्धति):

1. प्रातःकाल की तैयारी:

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।

2. पूजा सामग्री:

  • शिवलिंग पर जल, दूध और गंगा जल चढ़ाएं।
  • बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें।
  • दीपक और धूप जलाएं।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।

3. प्रदोष काल में पूजा:

  • प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है।
  • भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय"
  • शिवलिंग पर अक्षत, चंदन और भस्म अर्पित करें।

4. रात्रि में जागरण:

  • रात्रि में भगवान शिव की कथा सुनें और जागरण करें।

 क्या है प्रदोष व्रत कथा?

प्रदोष व्रत की कथा में एक पौराणिक कथा बताई जाती है जिसमें एक भक्त को भगवान शिव ने उसकी कठिन तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी मनोकामना पूरी की। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि भगवान शिव अपने भक्तों की हर कठिनाई को दूर कर सकते हैं।