इजरायल और हमास के बीच पिछले 15 महीनों से जारी संघर्ष का अंत होने जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच सीजफायर डील पर सहमति बन गई है, और इस युद्ध का खात्मा अब लगभग तय माना जा रहा है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले के बाद एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें युद्ध के खत्म होने के बाद के कदमों पर चर्चा की जाएगी। इस सीजफायर डील को लेकर दोनों पक्षों ने संवेदनशील मुद्दों पर समझौते किए हैं, लेकिन यह डील पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
15 महीनों का संघर्ष:
इजरायल-हमास युद्ध 2024 की शुरुआत में तब शुरू हुआ था जब हमास के आतंकवादियों ने इजरायल पर मिसाइलों और हमलों की झड़ी लगा दी थी। इसके जवाब में इजरायल ने कड़ी सैन्य कार्रवाई की, जिससे गाजा पट्टी में भारी तबाही मच गई। इस संघर्ष ने न केवल दोनों देशों के बीच स्थिति को तनावपूर्ण बनाया, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता भी बढ़ी।
सीजफायर डील:
अब, लंबे समय तक चले इस संघर्ष के बाद, सीजफायर डील को लेकर दोनों पक्षों ने सहमति जताई है। इस डील के तहत, हमास और इजरायल दोनों ने शर्तों पर समझौता किया है, जो दोनों देशों के लिए युद्धविराम को सुनिश्चित करेंगे। इस डील में गाजा में मानवीय सहायता भेजने, संघर्षविराम की निगरानी के लिए अंतर्राष्ट्रीय दलों की तैनाती, और युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों पर भी चर्चा की गई है।
नेतन्याहू की अहम बैठक:
नेतन्याहू ने इस डील के बाद एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें इजरायल के शीर्ष अधिकारियों और सैन्य कमांडरों को इस डील के कार्यान्वयन की दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। बैठक में सीजफायर के बाद की स्थिति पर भी विचार किया जाएगा, जिसमें गाजा क्षेत्र की सुरक्षा, आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, और फिलिस्तीनी नागरिकों की सहायता पर चर्चा की जाएगी।
सीजफायर का वैश्विक प्रभाव:
इस संघर्ष का अंत केवल इजरायल और हमास के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। युद्ध के खत्म होने से क्षेत्रीय स्थिरता में वृद्धि हो सकती है, और मध्य-पूर्व में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस डील को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं, लेकिन अधिकांश देशों ने इसे एक सकारात्मक कदम माना है।
हालाँकि यह सीजफायर डील एक प्रारंभिक कदम है, लेकिन इसका दीर्घकालिक परिणाम केवल समय ही बताएगा। दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी और कई अनसुलझे मुद्दे अभी भी मौजूद हैं। भविष्य में, यह देखना होगा कि इस डील के बाद स्थिति कैसे बदलती है और क्या यह स्थायी शांति की ओर एक बड़ा कदम साबित होती है।