मेरठ (एनएफटी रिपोर्टर)। वर्ल्ड हियरिंग डे के अवसर पर ईएनटी एसोसिएशन मेरठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) में एक प्रेसवार्ता में आईएमए सचिव डॉ. सुमित उपाध्याय व मेडिकल कॉलेज के प्रोफ़ेसर डॉ. विनीत शर्मा ने सुनने की क्षमता को सुरक्षित रखने और ध्वनि प्रदूषण से बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा की।
प्रोफ़ेसर डॉ. विनीत शर्मा ने कहा कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में श्रवण क्षमता कमजोर होने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आजकल शहरी क्षेत्रों में तेज हॉर्न, लाउडस्पीकर, मशीनों का शोर, ट्रैफिक और अन्य कारणों से ध्वनि प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है। इससे कानों की संवेदनशीलता प्रभावित हो रही है, जिससे सुनने की शक्ति धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इस समस्या से निपटने और जनमानस को जागरूक करने के लिए आईएमए मेरठ ने एक विशेष अभियान शुरू करने की घोषणा की। इस अभियान के तहत हर सप्ताह नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगाए जाएंगे, जहां कानों की जांच की जाएगी और लोगों को आवश्यक परामर्श दिया जाएगा।
डॉ. सुमित उपाध्याय ने कहा कि ये चिकित्सा शिविर विशेष रूप से उन लोगों के लिए होंगे, जो शुरुआती श्रवण समस्याओं को नजर अंदाज कर देते हैं और बाद में गंभीर परेशानियों का सामना करते हैं। इन शिविरों के माध्यम से श्रवण क्षमता की नि:शुल्क जांच, ध्वनि प्रदूषण से बचाव के उपायों की जानकारी। कानों की देखभाल और साफ-सफाई के बारे में जागरूकता। बुजुर्गों और बच्चों के लिए विशेष परामर्श सेवाएं दी जाएंगी।
ध्वनि अवरोधक के रूप में पेड़ लगाने की अपील
प्रेसवार्ता में यह भी बताया गया कि ध्वनि प्रदूषण कम करने का सबसे प्राकृतिक और प्रभावी उपाय अधिक से अधिक पेड़ लगाना है। पेड़ न केवल ध्वनि अवरोधक (Noise Barrier) का काम करते हैं, बल्कि वे वातावरण को शुद्ध करने और स्वस्थ पर्यावरण बनाने में भी मदद करते हैं। आईएमए ने प्रशासन और आम जनता से अपील की कि वे इस अभियान में सहयोग करें और सार्वजनिक स्थलों, स्कूलों, अस्पतालों और व्यस्त ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, ताकि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
आईएमए की अपील
आईएमए ने शहरवासियों से अपील की कि वे अपने कानों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें, अनावश्यक तेज आवाजों से बचें और नियमित रूप से श्रवण जांच कराएं। प्रेसवार्ता में डॉ. सुमित उपाध्याय ने कहा “स्वस्थ श्रवण शक्ति के लिए हमें अभी से जागरूक होना होगा। यह अभियान केवल एक दिन के लिए नहीं, बल्कि एक सतत प्रयास है, जिससे लोगों को कानों की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा।”
आईएमए की यह पहल न केवल लोगों को सुनने की क्षमता बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने और एक शांत एवं स्वस्थ वातावरण के निर्माण में भी सहायक होगी।