विशेष साक्षात्कार

हमारी सोच सांप्रदायिक नहीं, जो हमारा है हमें मिल जाना चाहिए : सीएम याेगी

उत्तर प्रदेश 2025-26 के सामान्य बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी पर करारा हमला किया है।

लखनऊ (ब्यूरो)उत्तर प्रदेश 2025-26 के सामान्य बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी पर करारा हमला किया है। उन्होंने साफ कहा कि समाजवादी पार्टी डॉ राम मनोहर लोहिया का नाम तो लेती है, लेकिन वह उनके मूल्यों और आदर्शों से दूर जा चुकी है। आज की समाजवादी पार्टी न डॉ लोहिया के बताए आचरण के अनुरूप कार्य कर रही है और न ही उनके बताए आदर्शों पर चल रही है। नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि मुझे अच्छा लगा कि नेता प्रतिपक्ष ने आज अपनी बात को बड़े दार्शनिक अंदाज में सदन में रखा। उन्होंने डॉ राम मनोहर लोहिया के एक अनुयायी के रूप में अपनी बात को रखने का प्रयास किया, लेकिन वह स्वयं इसका आचरण कर पाते हैं या नहीं, यह उन्हें स्वयं ही देखना चाहिए था। आज की समाजवादी पार्टी डॉ लोहिया का नाम तो लेती है, लेकिन उनके मूल्यों और आदर्शों से दूर जा चुकी है। डॉक्टर लोहिया ने कहा था कि एक सच्चा समाजवादी वह है जो संपत्ति और संतति से दूर रहे, यह तो आपकी पार्टी के आचरण से देख सकते हैं। सीएम योगी ने अपने हमले जारी रखते हुए कहा कि आप कहते हैं कि हमारी सोच सांप्रदायिक है, आप मुझे बताइए कि हमारी सोच कहां से सांप्रदायिक है। हम तो सबका साथ, सबके विकास की बात करते हैं। हमारा तो आदर्श है सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे सर्वे संतु निरामया। इसका सबसे आदर्श उदाहरण आपके सामने है महाकुम्भ। 45 दिन के इस आयोजन ने भारत की विरासत और विकास की एक अनुपम छाप न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के सामने प्रस्तुत की है। क्या उसमें किसी के साथ कोई भेदभाव हुआ है। न जाति का भेद, ना क्षेत्र का भेद, ना मत और मजहब का भेद था। जब 26 फरवरी को संभल में 56 वर्षों के बाद शिव मंदिर में जलाभिषेक का कार्यक्रम हो रहा था। अकेले संभल में 67 तीर्थ थे और 19 कूप भी थे, जिनको एक निश्चित समय के अंदर समाप्त कर दिया गया। इन 67 तीर्थ में से 54 तीर्थ को ढूंढने का काम हमने किया है जो हमारी विरासत का हिस्सा हैं। जो 19 कूप हैं उन्हें भी मुक्त कराया गया है। हमने यही कहा है की जो हमारा है वह हमें मिल जाना चाहिए। हम इससे इतर कहीं नहीं जा रहे हैं। सच कड़वा होता है और कड़वे सच को स्वीकार करने का सामर्थ्य भी होना चाहिए।