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मनमोहन सिंह: एक अराजनीतिक नेता जिसने राजनीति में शिखर छूकर मनरेगा और RTI जैसे ऐतिहासिक कानून दिए

डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी शालीनता और दूरदर्शिता से भारतीय राजनीति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके कार्यकाल में मनरेगा और RTI कानून जैसे ऐतिहासिक फैसले हुए, जो आज भी उनकी अमूल्य विरासत हैं।

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने अपनी शालीनता और नीतिगत प्रतिबद्धता से राजनीति को नया आयाम दिया, आज हमारे बीच नहीं रहे। एक ऐसे नेता, जिन्हें अराजनीतिक व्यक्तित्व होने के बावजूद भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंचने का गौरव प्राप्त हुआ, उनकी असाधारण सोच और दूरदर्शिता को देश हमेशा याद रखेगा।

डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और सूचना का अधिकार कानून (RTI) जैसे ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाता है। ये दोनों ही कानून उनकी सरकार की नीतिगत प्रतिबद्धता और गरीबों के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक हैं।


मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर

डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पूरी की। भारत लौटकर उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में योजना आयोग और वित्त मंत्रालय में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

1991 में, जब भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। आर्थिक सुधारों की शुरुआत ने डॉ. सिंह को राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बना दिया। 2004 में, वह कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री बने और दो कार्यकाल तक इस पद पर रहे।


मनरेगा: ग्रामीण भारत के लिए जीवनरेखा

2005 में डॉ. सिंह की सरकार ने मनरेगा कानून लागू किया। यह कानून देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार गारंटी देने वाला सबसे बड़ा कदम था। इसका उद्देश्य था ग्रामीण बेरोजगारी को समाप्त करना और गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना। आज भी मनरेगा लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करने का सबसे बड़ा स्रोत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. सिंह के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा था, "मनरेगा एक ऐसी योजना है, जो गरीबों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने में सफल हुई।"


RTI कानून: पारदर्शिता की दिशा में कदम

2005 में लागू सूचना का अधिकार (RTI) कानून डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल का एक और ऐतिहासिक कदम था। यह कानून जनता को सरकारी तंत्र में पारदर्शिता का अधिकार देता है। इसकी वजह से प्रशासनिक कार्यों में जवाबदेही बढ़ी और जनता के अधिकारों को मजबूती मिली।

RTI को एक ऐसा हथियार माना जाता है, जिसने भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली को और सुदृढ़ बनाया।


अराजनीतिक लेकिन महान नेता

डॉ. मनमोहन सिंह को उनके शांत स्वभाव और "कार्य करने दो, बोलने दो" की नीति के लिए जाना जाता है। उन्होंने कभी राजनीतिक बयानबाजी का सहारा नहीं लिया, बल्कि अपने काम से देश की जनता का विश्वास जीता।

उनकी आर्थिक नीतियां, वैश्विक दृष्टिकोण, और गरीबों के प्रति संवेदनशीलता उन्हें एक असाधारण नेता बनाती हैं।


नेताओं और जनता की प्रतिक्रिया

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर से श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "डॉ. सिंह ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।"

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में ऐसे फैसले लिए, जिनका असर आज भी देश के गरीबों और युवाओं पर देखा जा सकता है।"


डॉ. सिंह की विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन भारतीय राजनीति के लिए एक मिशाल है। उनकी नीतियों और फैसलों ने न केवल गरीबों की मदद की, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई। मनरेगा और RTI जैसे कानून उनकी दूरदर्शिता और गरीबों के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण हैं।

देश उन्हें एक दृढ़ और नीतिगत नेता के रूप में हमेशा याद रखेगा।