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मनमोहन सिंह: वह प्रधानमंत्री जिसने परमाणु समझौते के लिए दांव पर लगा दी थी अपनी सरकार

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए अपनी सरकार को दांव पर लगाकर ऐतिहासिक फैसला लिया। यह कदम उनकी दृढ़ता और दूरदर्शिता का प्रतीक था।

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जो अपनी शालीनता और दृढ़ता के लिए विश्व भर में जाने जाते हैं, ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था 2008 का भारत-अमेरिका परमाणु समझौता, जिसे लेकर उन्होंने अपनी सरकार तक दांव पर लगा दी थी।

डॉ. सिंह के निधन के बाद यह चर्चा फिर से जोर पकड़ रही है कि कैसे एक शांत और मृदुभाषी नेता ने अपने निर्णय पर अडिग रहते हुए यह ऐतिहासिक कदम उठाया।

परमाणु समझौते की शुरुआत

2005 में, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के बीच बातचीत शुरू हुई थी। यह समझौता भारत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इससे भारत को वैश्विक परमाणु ताकतों के साथ जुड़ने और अपने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत करने का मौका मिला।

हालांकि, इस समझौते का भारत की राजनीति में तीव्र विरोध हुआ। विपक्षी पार्टियों और यहां तक कि सहयोगी वाम दलों ने इसे भारत की संप्रभुता पर खतरा बताया।

सरकार पर संकट

2008 में, जब यह समझौता अंतिम चरण में था, तो वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी। डॉ. मनमोहन सिंह के लिए यह एक कठिन समय था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "यह समझौता भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। अगर मुझे सरकार छोड़नी पड़े, तो भी मैं इस समझौते पर समझौता नहीं करूंगा।"

उनके इस बयान से न केवल उनकी सरकार खतरे में आई, बल्कि उन्होंने अपने करियर को भी दांव पर लगा दिया। अंततः उन्होंने विश्वास प्रस्ताव जीत लिया और यह समझौता सफलतापूर्वक लागू हुआ।

परमाणु समझौते के फायदे

इस समझौते ने भारत को उन देशों की श्रेणी में खड़ा कर दिया, जिनके पास परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की सुविधा है। इसके तहत भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की मान्यता मिली और परमाणु ईंधन के आयात का रास्ता खुला।

डॉ. मनमोहन सिंह का यह कदम उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण था। इस समझौते ने भारत को ऊर्जा संकट से उबरने में मदद की और देश की वैश्विक साख को मजबूत किया।

राजनीतिक दृढ़ता की मिसाल

डॉ. मनमोहन सिंह के इस फैसले को भारतीय राजनीति में दृढ़ नेतृत्व की मिसाल के रूप में देखा जाता है। उनकी यह भूमिका उनके शांत व्यक्तित्व के विपरीत थी, लेकिन इससे पता चलता है कि वे एक सच्चे नेता थे, जो देश के हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।

नेताओं की श्रद्धांजलि

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "डॉ. सिंह जी ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी। उनका नेतृत्व और फैसले आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।"

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "डॉ. सिंह का परमाणु समझौते के लिए लिया गया फैसला उनके साहस और देशभक्ति का प्रतीक है।"

डॉ. सिंह की विरासत

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन भारत की राजनीति में दृढ़ संकल्प और दूरदृष्टि का प्रतीक रहेगा। उनका परमाणु समझौते पर लिया गया फैसला उनके सबसे साहसिक निर्णयों में से एक था, जिसने भारत को ऊर्जा और वैश्विक कूटनीति में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।