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मालदीव के रक्षा मंत्री मौमून और राजनाथ सिंह की आज अहम बैठक, द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर होगा मंथन

आज मालदीव के रक्षा मंत्री मारीया दीदी मौमून और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर अहम बैठक होगी। इसमें रक्षा, सुरक्षा, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

आज भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक अहम बैठक होने जा रही है। मालदीव के रक्षा मंत्री मारीया दीदी मौमून और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित होगी। इस बैठक में दोनों देशों के रक्षा सहयोग, सुरक्षा रणनीतियों, और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

भारत-मालदीव संबंध:

मालदीव और भारत के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं। भारत हमेशा से मालदीव का एक भरोसेमंद सहयोगी रहा है, खासकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में एक अहम रणनीतिक स्थिति में है और भारत इस क्षेत्र को स्थिर और सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

बैठक के मुख्य बिंदु:

इस बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है:

  1. सुरक्षा और रक्षा सहयोग: दोनों देश सुरक्षा उपकरण साझा करने, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर बातचीत करेंगे।
  2. आतंकवाद और संगठित अपराध: समुद्री क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद और ड्रग तस्करी से निपटने के उपायों पर चर्चा होगी।
  3. हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता: दोनों देश इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर निगरानी और रणनीतियों को लेकर विचार-विमर्श करेंगे।
  4. मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकट के समय भारत द्वारा मालदीव को दी जाने वाली सहायता पर चर्चा होगी।

भारत की भूमिका:

भारत ने मालदीव को कई बार रक्षा उपकरण, कोस्ट गार्ड जहाज, और सैन्य प्रशिक्षण प्रदान किया है। इसके अलावा, भारत मालदीव में डिजिटल सुरक्षा संरचना को मजबूत करने के लिए भी सहयोग कर रहा है।

मालदीव की अपेक्षाएं:

मालदीव इस बैठक से अपने सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत से और अधिक सहयोग की उम्मीद कर रहा है।

क्षेत्रीय राजनीति पर असर:

यह बैठक न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र की भूराजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चीन, जो मालदीव में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है, इस बैठक पर विशेष नजर रखेगा।

भारतीय जनता इस बैठक को क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की बढ़ती भूमिका के रूप में देख रही है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बैठकें भारत के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत बनाती हैं।