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इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति के लिए भारत का क्या है दृष्टिकोण? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया स्पष्ट

भारत चाहता है कि 'कोड ऑफ कंडक्ट' (आचार संहिता) ऐसा हो, जो उन देशों के वैध अधिकारों और हितों को प्रभावित न करे, जो इस चर्चा का हिस्सा नहीं हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 नवम्बर 2024 को वियेंटियान, लाओ पीडीआर में आयोजित 11वीं एशियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) के दौरान कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए स्वतंत्र नेविगेशन, बाधारहित वैध वाणिज्य और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करने का समर्थन करता है।
 
 
उन्होंने यह भी कहा कि भारत चाहता है कि 'कोड ऑफ कंडक्ट' (आचार संहिता) ऐसा हो, जो उन देशों के वैध अधिकारों और हितों को प्रभावित न करे, जो इस चर्चा का हिस्सा नहीं हैं। यह कोड पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि संधि 1982 के अनुरूप होना चाहिए।
 
अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की चुनौतियों और संघर्षों पर चिंता व्यक्त 
 
रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने वाले ongoing संघर्षों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि 11वीं ADMM-Plus लाओ पीडीआर में हो रही है, जो अहिंसा और शांति के बौद्ध सिद्धांतों को आत्मसात करता है। 
 
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि दुनिया अधिक से अधिक बौद्ध धर्म के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को अपनाए, क्योंकि दुनिया अब अधिकतर ध्रुवीकृत होती जा रही है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। 
 
 
भारत का संवाद और शांतिपूर्ण समाधान पर जोर 
 
राजनाथ सिंह ने भारत के संवाद और शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करते हुए कहा कि भारत हमेशा जटिल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए संवाद का पक्षधर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के दृष्टिकोण से संवाद को बढ़ावा देने से विश्वास, समझ और सहयोग को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे स्थिर और दीर्घकालिक साझेदारियां बनती हैं। 
 
उन्होंने कहा कि केवल जब राष्ट्र आपसी दृष्टिकोणों का सम्मान करते हुए और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की ओर काम करते हैं, तब ही वैश्विक समस्याओं का स्थायी समाधान संभव है।
 
एशियाई सदी में भारत का योगदान और ASEAN के साथ संबंध
 
रक्षा मंत्री ने 21वीं सदी को 'एशियाई सदी' बताते हुए कहा कि ASEAN क्षेत्र हमेशा से ही आर्थिक रूप से गतिशील रहा है, और इस क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा में भारत हमेशा इस क्षेत्र का विश्वसनीय मित्र रहा है।