तिब्बत में आज सुबह 7.6 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने पूरे इलाके में तबाही मचा दी। इस विनाशकारी भूकंप में अब तक 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं। भूकंप का केंद्र तिब्बत के गढ़जोंग क्षेत्र में था, जहां सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
इमारतें धराशायी, लोग दहशत में
भूकंप के कारण तिब्बत में सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं। भूकंप का झटका इतना तेज था कि लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे। कई लोगों ने बताया कि झटकों के दौरान जमीन तेजी से हिल रही थी। बचाव दल और राहतकर्मी मौके पर पहुंच गए हैं और घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम जारी है।
बिहार में भी महसूस हुए झटके
तिब्बत से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर भारत के बिहार में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। पटना, गया और भागलपुर जैसे इलाकों के लोगों ने बताया कि भूकंप के दौरान उनकी खिड़कियां और दरवाजे हिलने लगे। हालांकि, भारत में किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
भूकंप क्यों आया? विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों के मुताबिक, तिब्बत का इलाका भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है। यहां की जमीन में निरंतर हलचल होती रहती है। आज का भूकंप भी इसी भूगर्भीय हलचल का नतीजा है। भूवैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र में भविष्य में और भी तेज भूकंप आने की संभावना है।
बचाव कार्य जारी
तिब्बती प्रशासन और बचाव दल राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद देने और घायलों को मुफ्त इलाज का आश्वासन दिया है।
लोगों में डर का माहौल
इस भूकंप ने तिब्बत के लोगों के बीच डर और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह का भूकंप उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया। राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ लोगों को मानसिक सहायता देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
भविष्य के लिए तैयारी जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि तिब्बत जैसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए मजबूत इमारतों का निर्माण और समय-समय पर भूकंप अभ्यास करवाना अनिवार्य है।