आज 3 जनवरी 2025 को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) के मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने देश की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए डीआरडीओ की भूमिका को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य में होने वाले रक्षा सुधारों में डीआरडीओ की एक बड़ी जिम्मेदारी होगी और यह संगठन देश की रक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
राजनाथ सिंह का दौरा: एक महत्वपूर्ण कदम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने दौरे के दौरान डीआरडीओ के अधिकारियों से मुलाकात की और विभिन्न शोध एवं विकास परियोजनाओं की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने डीआरडीओ की परियोजनाओं को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि भारत की रक्षा नीति में डीआरडीओ का योगदान समय के साथ बढ़ेगा। इस दौरे के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में डीआरडीओ की भूमिका काफी अहम है, और यह संगठन भविष्य में और भी बेहतर तकनीकी विकास करेगा।
रक्षा मंत्री का बयान
राजनाथ सिंह ने कहा, "हमारा उद्देश्य केवल एक मजबूत सेना बनाना नहीं है, बल्कि हम भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीकी से लैस करना चाहते हैं। इसके लिए डीआरडीओ ने जो कदम उठाए हैं, वह हमें आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में एक कदम और बढ़ाते हैं। आने वाले समय में इस संगठन की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होगी।"
उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ द्वारा विकसित की जा रही नई रक्षा प्रणालियाँ भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी। उन्होंने यह विश्वास जताया कि डीआरडीओ की इन योजनाओं के तहत भारतीय सेना और अन्य रक्षा बलों को अत्याधुनिक उपकरण और प्रणाली मिलेंगी, जो देश की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ बनाएंगी।
डीआरडीओ का भविष्य और सुधार
डीआरडीओ की प्रमुख योजनाओं में कई नए रक्षा उपकरणों और तकनीकी नवाचारों को विकसित करना शामिल है। इन योजनाओं का उद्देश्य भारतीय सेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है ताकि भारत को विदेशों से रक्षा सामग्री पर निर्भरता कम हो सके। इसके तहत भारत में ही मिसाइल, ड्रोन, और अन्य रक्षा तकनीकों का निर्माण किया जाएगा, जो पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सके।
रक्षा क्षेत्र में बदलाव
राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा किए गए लगातार प्रयासों से रक्षा क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहा है। सरकार ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलें शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य देश को रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। इस दिशा में डीआरडीओ का योगदान और भी महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि यह संगठन रक्षा प्रणालियों का डिज़ाइन और निर्माण करने में माहिर है।
आज का दौरा और रक्षा मंत्री का बयान यह स्पष्ट करते हैं कि भारत अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। डीआरडीओ ने अब तक जो उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं, वह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में एक अहम कदम हैं। आने वाले समय में भारत की रक्षा व्यवस्था और भी सशक्त होने की उम्मीद है, और डीआरडीओ का योगदान इसमें महत्वपूर्ण रहेगा।