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न्यूक्लियर साइंटिस्ट आर चिदंबरम का निधन, पोखरण परमाणु परीक्षण में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

न्यूक्लियर साइंटिस्ट आर चिदंबरम का निधन हो गया है। वे पोखरण परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाने के लिए जाने जाते थे। भारत के इस महान वैज्ञानिक के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। जानिए उनके जीवन और कार्य के बारे में विस्तार से।

भारत को परमाणु शक्ति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले न्यूक्लियर साइंटिस्ट आर चिदंबरम का निधन हो गया है। उनके निधन से भारतीय विज्ञान और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक बहुत बड़ी कमी महसूस होगी। उन्होंने भारतीय परमाणु कार्यक्रम के लिए कई वर्षों तक समर्पित रूप से काम किया और भारतीय वैज्ञानिकों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया। उनकी मृत्यु पर देशभर में शोक की लहर है।

आर चिदंबरम का जन्म 1934 में हुआ था और उनका नाम भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग के सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों में गिना जाता है। विशेष रूप से पोखरण परमाणु परीक्षण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा। पोखरण परीक्षण भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था, जिसने भारत को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

पोखरण परमाणु परीक्षण और आर चिदंबरम का योगदान

आर चिदंबरम ने भारत के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण 1974 और फिर 1998 में हुए पोखरण-II के सफल परीक्षणों में भी अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया। पोखरण-I परीक्षण भारत द्वारा किया गया पहला परमाणु परीक्षण था, जो 18 मई 1974 को पोखरण क्षेत्र में हुआ था। इसके बाद, 1998 में पोखरण-II परीक्षण भारत ने फिर से किए, जिसमें भारत ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि वह अब परमाणु शक्ति संपन्न देश बन चुका है।

इन दोनों परीक्षणों के दौरान आर चिदंबरम की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण थी। वह न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से इस परियोजना का हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने इस कार्य के लिए जरूरी योजना और संसाधनों को भी सही तरीके से सुनिश्चित किया। पोखरण-2 परीक्षण के बाद, भारत ने परमाणु शक्ति संपन्न देशों के क्लब में अपनी जगह बनाई, और इसका श्रेय बड़ी हद तक चिदंबरम को जाता है। उनके द्वारा की गई कार्यप्रणाली और निष्कलंक नेतृत्व ने भारत के परमाणु परीक्षणों को संभव बनाया।

चिदंबरम की वैज्ञानिक यात्रा

आर चिदंबरम का वैज्ञानिक करियर 1950 के दशक के अंत में शुरू हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान से प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से भी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उनके पास परमाणु भौतिकी, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गहरी समझ थी, जो उनके महान कार्यों का कारण बनी।

उनकी वैज्ञानिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर थे। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके साथ ही उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए। चिदंबरम का योगदान सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग के लिए अहम माना जाता था।

वैज्ञानिक समुदाय में छवि

आर चिदंबरम को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय में भी एक सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। उन्होंने अपनी विशेषज्ञता और कार्यों के द्वारा भारत को न केवल परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसके साथ ही भारतीय विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में भी एक नई क्रांति की शुरुआत की। उनकी निष्ठा और समर्पण ने उन्हें भारतीय वैज्ञानिकों के बीच एक आदर्श बना दिया।

चिदंबरम का मानना था कि परमाणु ऊर्जा का सही उपयोग न केवल देश की शक्ति बढ़ाता है, बल्कि यह देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बना सकता है। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि भारत में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शांति और विकास के उद्देश्य से हो।

चिदंबरम का निधन और उनकी विरासत

उनके निधन से पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ गई है। भारतीय वैज्ञानिकों और नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके योगदान को याद करते हुए ट्वीट किया है कि उन्होंने भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक नई दिशा दी।

आर चिदंबरम की विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनके द्वारा किए गए कार्यों और उनकी तकनीकी योजनाओं को आने वाली पीढ़ियां सदा याद रखेंगी। उनका योगदान भारत की परमाणु शक्ति बनने में अभूतपूर्व था, और उनका नाम भारतीय विज्ञान में हमेशा स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।

भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। उनकी प्रतिबद्धता और संघर्ष ने भारतीय वैज्ञानिकों को प्रेरित किया और एक नई दिशा दी। अब जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो उनकी कार्यशैली और उनके विचारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

न्यूक्लियर साइंटिस्ट आर चिदंबरम का योगदान भारत के वैज्ञानिक इतिहास में हमेशा चमकता रहेगा। वे हमेशा एक प्रेरणा स्रोत के रूप में याद किए जाएंगे।