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Kargil Vijay Diwas : कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर पढ़ें कारगिल युद्ध के पायलट की शौर्य गाथा

देश आज कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर सैनिकों के परिवार अपने प्रियजनों की बहादुरी और समर्पण को याद कर रहे हैं, जिन्होंने 1999 में बर्फीले ऊंचाइयों पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान अपना बलिदान दिया था.

देश आज कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर सैनिकों के परिवार अपने प्रियजनों की बहादुरी और समर्पण को याद कर रहे हैं, जिन्होंने 1999 में बर्फीले ऊंचाइयों पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान अपना बलिदान दिया था. 
 
इसी कड़ी में आज हम आपको भारतीय फाइटर पॉयलट की बहादुरी की दास्तां बताने जा रहे हैं. जिन्हें पाकिस्तान ने बंधक बना लिया था. और उन्हें कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया था. करीब 8 दिन के बाद भारत को सौपा गया था. 

क्षेत्र का ग्राम सिरसा सेना में भर्ती को लेकर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। लोग इसे फौजियों का गांव भी कहने लगे हैं। गांव में करीब पांच हजार की आबादी पर लगभग छह सौ घर होंगे। जिसमें से करीब डेढ़ सौ युवा सेना में सिपाही से लेकर सूबेदार के पद पर तैनात होकर देश की सेवा में लगे हुए हैं।

वहीं गांव में करीब पचास फौजी सेवानिवृत होकर अब गांव के युवाओं को सेना की भर्ती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गांव के हर घर में फौजियों की वर्दियां टंगी हुई नजर आ जाएंगी।

भारतीय फाइटर पॉयलट के नचिकेता भी कारगिल युद्ध में थे. वो अपनी कहानी खुद बताते हुए कहते हैं कि, एक रोज़ जब वो फाइटर प्लेन मिग-27 उड़ा रहे थे और दुश्मनों को अपना निशाना बना रहे थे. लेकिन दुश्मनों को अपना निशाना बनाने के दौरान नचिकेता के विमान का इंजन फेल हो गया और उन्हें विमान से निकलना पड़ा था. 

एक निजी मीडिया संस्थान से बातचीत में नचिकेता आगे बताते हैं कि, जैसे ही जमीन पर लैंड हुए, उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के सैनिकों ने घेर लिया था. उस दिन हमारे साथ तीन अन्य लड़ाकू पायलटों ने उड़ान भरी थी. हमारे निशाने पर मुन्थो ढालो नाम की जगह थी. ये पाकिस्तान लॉजिस्टिक बेस का सेंटर था.