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Justin Trudeau Resign: भारत-कनाडा रिश्तों में नई शुरुआत की उम्मीद, कांग्रेस ने की आलोचना

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। कांग्रेस ने उनके कार्यकाल को "मूर्खता भरी नीतियों" वाला करार दिया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस कदम ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ वर्षों से चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है। भारत में कई विशेषज्ञ इसे दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का एक सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।


इस्तीफे की वजह क्या है?

जस्टिन ट्रूडो ने अपने इस्तीफे के पीछे घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय दबाव को वजह बताया है। उनके कार्यकाल के दौरान कनाडा की कई नीतियां विवादों में रहीं। खासकर भारत के साथ उनके संबंधों पर सवाल उठे। खालिस्तानी मुद्दे और भारतीय राजनयिकों पर लगाए गए आरोपों के चलते भारत-कनाडा रिश्तों में खटास आ गई थी।


भारत-कनाडा रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर?

विशेषज्ञों का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो के हटने से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हो सकता है।

  1. खालिस्तानी मुद्दा: भारत लगातार कनाडा पर खालिस्तानी तत्वों को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद इस मुद्दे पर कनाडा की नई सरकार का रुख बदला जा सकता है।
  2. व्यापारिक संबंध: भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर भी कई मतभेद रहे हैं। इस्तीफे के बाद नई सरकार इसे प्राथमिकता दे सकती है।
  3. राजनयिक संबंध: ट्रूडो के विवादित बयानों ने भारतीय राजनयिकों के साथ संबंधों को खराब किया था। अब इन संबंधों को फिर से सुधारा जा सकता है।

कांग्रेस ने की आलोचना

भारत में विपक्षी दल कांग्रेस ने जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल को "मूर्खतापूर्ण नीतियों" वाला करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,
"जस्टिन ट्रूडो की नीतियों ने कनाडा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है। भारत-कनाडा के रिश्ते उनके नेतृत्व में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे।"


ट्रूडो का कार्यकाल: एक नजर

  1. 2015 में सत्ता संभाली: जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में 2015 में कार्यभार संभाला।
  2. विवादित नीतियां: उनके कार्यकाल में कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे विवादों में रहे।
  3. भारत दौरा विवाद: 2018 में भारत दौरे के दौरान खालिस्तानी समर्थकों के साथ उनकी तस्वीरों ने विवाद खड़ा किया।
  4. राजनीतिक दबाव: कनाडा में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और सुरक्षा चिंताओं ने उनके खिलाफ माहौल बनाया।
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