मीयत उलेमा-एहिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उत्तराखंड
विधानसभा में पेश समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को भेदभावपूर्ण करार
देते हुए अपने बयान में कहा कि अनुसूचित जनजाति को इस विधेयक के दायरे से बाहर
रखा जा सकता है, तो फिर मुस्लिम समुदाय को छूट क्यों नहीं मिल सकती। मदनी ने
कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में पेश किये गए यूसीसी में अनुसूचित जनजातियों
को संविधान के अनुच्छेद जो 366ए अध्याय 25ए उपधारा 342 के तहत नए कानून से
छूट दी गई है और यह तर्क दिया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके
अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई है। मौलाना मदनी ने कहा कि यदि संविधान की
एक धारा के तहत अनुसूचित जनजातियों को इस कानून से अलग रखा जा सकता है तो
हमें संविधान की धारा 25 और 26 के तहत धार्मिक आज़ादी क्यों नहीं दी जा
सकती। संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को
मान्यता देकर धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। मदनी ने दावा किया कि
समान नागरिक संहिता मौलिक अधिकारों को नकारती है। यदि यह समान नागरिक संहिता
है, तो फिर नागरिकों के बीच यह भेदभाव क्यों? हम किसी ऐसे कानून को स्वीकार
नहीं करेंगे जो शरीयत के खिलाफ हो।